Acid Base and Salt Class 10th Notes PDF – अम्ल, क्षार एवं लवण कक्षा 10 नोट्स
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इस आर्टिकल में, कक्षा 10 अम्ल, क्षारक एवं लवण नामक अध्याय का संपूर्ण अध्ययन करेंगे और महत्वपूर्ण प्रश्नों के बारे में भी जानेंगे। यह अध्याय बोर्ड परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस अध्याय से बोर्ड परीक्षा में प्रश्न हमेशा पूछे जाते हैं।Acid Base and Salt Class 10th Notes PDF
कक्षा -10 अम्ल, क्षारक एवं लवण नोट्स हिंदी में डाउनलोड करें
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का, एक नई पोस्ट में, इस पोस्ट में हम लोग कक्षा-10वी के अध्याय-2 जिसका नाम अम्ल क्षारक एवं लवण है, को देखने वाले हैं। इस पोस्ट में हम लोग इस अध्याय के सभी महत्वपूर्ण Topics तथा परीक्षा उपयोगी प्रश्नों को भी देखेंगे। जो कि आप नीचे देख सकते हैं-
Class-10 Science Notes in Hindi
अम्ल क्षार तथा लवण तीनों ही बहुत उपयोगी पदार्थ है। जीवो की पाचन क्रिया में इनका बड़ा महत्व होता है। भोजन के स्वाद भोजन में विद्यमान अम्ल, क्षारक तथा लवणो के कारण ही होता है। दैनिक जीवन में हम फलों और सब्जियों का उपयोग करते हैं। फल और सब्जियां कुछ लवणो और क्षारो के प्राकृतिक स्रोत होते हैं। रसोईघर का एक प्रमुख लवण नमक है। नमक की कम या ज्यादा होने पर सब्जी का स्वाद किस प्रकार प्रभावित होता है यह आप दैनिक जीवन में भोजन करते समय भलीभांति जानते हैं। इस आर्टिकल की सहायता से अम्ल, क्षारक तथा लवणो के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।
अम्ल (Acid)
प्रारंभ में खट्टे पदार्थों में अम्ल की उपस्थिति मानकर यह कहा गया- वे पदार्थ जो स्वाद में खट्टे होते हैं अम्ल कहलाते हैं। प्राचीन काल में आम लोगों की पहचान उनके खट्टेपन के कारण के अतिरिक्त उनका लिटमस पेपर के साथ व्यवहार एवं धातु के साथ उनकी अभिक्रिया पर भी निर्धारित की जाती थी।
अम्ल की परिभाषा-
- अम्ल वे पदार्थ है जो स्वाद में खट्टे होते हैं, नीले लिटमस पेपर को लाल कर देते हैं तथा सक्रिय धातुओं के साथ क्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
अम्ल के भौतिक गुण
- अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं।
- अम्ल जल में विलेय होते हैं।
- अम्ल नीले लिटमस पेपर को लाल कर देते हैं।
- प्रबल अम्ल त्वचा पर गिरने पर जलन उत्पन्न करते हैं।
- आलू के जलीय विलयन विद्युत के चालक होते हैं।
रासायनिक दृष्टि से अम्ल की परिभाषा :
अम्ल वे पदार्थ है जो जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयन (H⁺) देते हैं तथा हाइड्रोजन आयन के अतिरिक्त अन्य कोई धनायन नहीं देते हैं।
HCl ⇌ H⁺ + Cl⁻
H₂SO₄ ⇌ 2H⁺ + SO₄⁻
HNO₃ ⇌ H⁺ + NO₃
अम्ल दो प्रकार के होते हैं
- प्रबल अम्ल : वे अम्ल जो जल में पूर्णतया विलेय होते हैं जैसे- HCl, HNO₃
- दुर्बल अम्ल : वे अम्ल जो जल में पूर्णतया विलेय नहीं होते हैं जैसे- COOH, HCOOH
अम्लो के रासायनिक गुण (Chemical Properties of Acid) :
- धातु के साथ अभिक्रिया :
हम लोग विभिन्न सक्रिय धातुओं से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है और यौगिक के रूप में लवण बनाता है।
Zn + H₂SO₄ → ZnSO₄ + H₂
- धातु कार्बोनेटो से अभिक्रिया :
अम्ल धातु कर्बोनेट के साथ क्रिया करके लवण और जल बनाते है तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस मुक्त करता है।
Na₂CO₃ + 2HCl → 2NaCl + H₂O CO₂
- धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट या धातु बाइकार्बोनेट से अभिक्रिया :
अम्ल धातु बाइकार्बोनेट (हाइड्रोजन कार्बोनेट) से अभिक्रिया करके लवण, जल और कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनाते हैं।
NaHCO₃ + HCl → NaCl + H₂O + CO₂
- धात्विक ऑक्साइड अभिक्रिया:
अम्ल धातु ऑक्साइड से क्रिया करके लवण और जल बनाते हैं।
CaO + 2HCl → CaCl₂ + H₂O
क्षारक (Bases)
वे पदार्थ जिनका स्वाद कड़वा होता है तथा जो लाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं चारक कहलाते हैं। उदाहरण- साबुन
क्षारको के भौतिक गुण
- क्षारक जल में विलेय तथा स्वाद में तीखे और कड़वे होते हैं।
- क्षारक लाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं।
- क्षारक स्पर्श करने पर साबुन के समान चिकने होते हैं।
- अम्लों के समान क्षारको की भी प्रवृत्ति संक्षारक होती है।
रासायनिक दृष्टि से क्षारक की परिभाषा :
वे हाइड्रोक्सिल समूह (OH⁻) युक्त पदार्थ जो जलीय विलयन में वियोजित होकर ऋण आयनो में केवल हाइड्रोक्सील (OH⁻) आयन देते हैं, क्षारक कहलाते हैं।
NaOH ⇌ Na⁺ + OH⁻
क्षारक दो प्रकार के होते हैं-
- प्रबल क्षारक (Strong Bases) : वे क्षारक, जो जल में पूर्णतया वियोजित या आयनित होकर हाइड्रोक्साइड आयन (OH) देते हैं, प्रबल क्षारक कहलाते हैं। जैसे- KOH, NaOH
- दुर्बल क्षारक (Weak Bases) : वे क्षारक जो जल में पूर्णतया वियोजित या आयनित नहीं होते हैं, दुर्बल क्षारक कहलाते हैं। जैसे- NHOH
क्षारको के रासायनिक गुण (Chemical Properties of Bases) :
- धातु के साथ क्रिया :
प्रबल छार सक्रिय धातु के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करते हैं और योगिक के रूप में लवण बनाते हैं।
Zn + NaOH → Na₂ZnO + H₂
- अधात्विक ऑक्साइड के साथ अभिक्रिया :
क्षारक धातु ऑक्साइड के साथ क्रिया करके लवण एवं जल बनाते हैं।
CO₂ + Ca(OH)₂ → CaCO₃ + H₂O
सूचक (Indicators)
Indicators वे पदार्थ है जिनका उपयोग आयतनात्मक विश्लेषण में किसी रासायनिक अभिक्रिया के पूर्ण होने की जानकारी प्राप्त करने में होता है।
सूचक की परिभाषा
- वे पदार्थ जिनका उपयोग किसी अनुमापन में उदासीन बिंदु या अंतिम बिंदु को निर्धारित करने के लिए किया जाता है, सूचक कहलाते हैं।
कुछ प्रमुख सूचक निम्नलिखित है।
- प्राकृतिक सूचक : यह सूचक प्राकृतिक में पाए जाने वाले पौधों में पाए जाते हैं। जैसे- लाल पत्ता गोभी, हल्दी आदि।
- संश्लेषित सूचक : इस सूचक को प्रयोगशाला में बनाया जाता है। जैसे- मेथिल आरेन्ज
- गंध युक्त सूचक : इस प्रकार के सूचक को अम्ल तथा क्षार को पहचान करने में प्रयुक्त किया जाता है। जैसे- प्याज व लौंग
- सर्वव्यापी सूचक
pH परिसर (pH Range) :
किसी अम्ल क्षारक सूचक के रंग में परिवर्तन किसी निश्चित pH पर न होकर एक निश्चित सीमा में होता है, जिसे pH परिसर कहते हैं।
pH मान
सोरेनसन ने बताया कि किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन सांद्रता के ऋणात्मक लघुगणक को उस विलयन का pH मान कहते हैं।
pH = -log₁₀[H⁺]
उदासीनीकरण अभिक्रिया (Nutrilisation Reaction)
जब किसी अम्ल तथा क्षार को मिलाया जाता है तो इनकी परस्पर क्रिया द्वारा लवण व जल का निर्माण होता है यह क्रिया उदासीनीकरण अभिक्रिया कहलाती है।
HCl + NaOH → NaCl + H₂O
लवण (Salt)
किसी अम्ल तथा क्षार की उदासीनीकरण अभिक्रिया से प्राप्त आयनिक ठोस को लवण करते हैं।
अम्ल + क्षार → लवण + जल
लवण 6 प्रकार के होते हैं-
- सामान्य लवण
- अम्लीय लवण
- क्षारकीय लवण
- मिश्रित लवण
- द्विक लवण
- संकर लवण
साधारण नमक (NaCl)
साधारण नमक हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा सोडियम हाइड्रोक्साइड विलयन के संयोग द्वारा बनता है। इसलिए इसे सोडियम क्लोराइड भी कहते हैं।
सोडियम क्लोराइड के उपयोग
- साधारण नमक को भोजन पकाने के अतिरिक्त परीक्षक के रूप में तथा अनेक रसायनों जैसे- कास्टिक सोडा बेकिंग सोडा, धावन सोडा, विरंजक चूर्ण इत्यादि के निर्माण में उपयोग करते हैं।
- इसका प्रयोग सोडियम धातु तथा क्लोरीन गैस के निर्माण में करते हैं।
- जब अधिक पसीना आने से शरीर की मांसपेशियों में ऐंठन अर्थात पानी के साथ सोडियम क्लोराइड की कमी होती है, तो लवण निर्माण या विद्युत अपघट्य विलयन को सोडियम क्लोराइड की कमी को रोकने के लिए लेना चाहिए।
कास्टिक सोडा या सोडियम हाइड्रोक्साइड
सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर यह वियोजित होकर सोडियम हाइड्रोक्साइड उत्पन्न करता है। इस प्रक्रिया को क्लोर क्षार प्रक्रिया कहते हैं।
2NaCl + H₂O → 2NaOH + Cl₂ + H₂
कास्टिक सोडा के उपयोग
- इसका प्रयोग साबुन तथा अपमार्जक ओ को बनाने में होता है
- कृत्रिम वस्त्र रेशे, कागज निर्माण, बॉक्साइट अयस्क के शुद्धीकरण, तेल शोधन तथा रंगकों एवं विरंजको के निर्माण में।
विरंजक चूर्ण (Bleaching Powder)
रासायनिक नाम : कैलशियम क्लोरो हाइपोक्लोराइट या क्लोराइट ऑफलाइम या क्लोरीनेटेड लाइम
सामान्य नाम : विरंजक चूर्ण या ब्लीचिंग पाउडर
अणु सूत्र : CaOCl₂
अणु भार : 127
निर्माण की विधियां (Methods of Preparation)
विरंजक चूर्ण का निर्माण शुष्क बुझे हुए चूने पर क्लोरीन की क्रिया द्वारा किया जाता है।
Ca(OH)₂ + Cl₂ → CaOCl₂ + H₂O
भौतिक गुण (Physical Properties)
- यह हल्के पीले रंग का चूर्ण है।
- यह जल में अल्प विलय है तथा जल में अल्प विलयेता के कारण इसमें घूलित अशुद्धियां है।
- इसकी जलीय विलयन दूधिया होता है।
- इसमें से क्लोरीन की गंध आती है।
रसायनिक गुण (Chemical Properties)
- गर्म जल से क्रिया : विरंजक चूर्ण को जल में विलेय कर गर्म करने पर क्लोरीन गैस मुक्त होती है।
CaOCl₂ + H₂O → Ca(OH)₂ + Cl₂
- उष्मा का प्रभाव : इसे गर्म करने पर यह अपघटित होकर ऑक्सीजन तथा कैलशियम क्लोराइड देता है।
2CaOCl₂ → 2CaCl₂ + O₂
- कार्बन डाइऑक्साइड से क्रिया: कार्बन डाइऑक्साइड से विरंजक चूर्ण की क्रिया कराने पर क्लोरीन गैस मुक्त होती है। तथा योगिक के रूप में धातु कार्बोनेट बनते हैं।
CaOCl₂ + CO₂ → CaCO₃ + Cl₂
उपयोग (Uses)
विरंजक चूर्ण का उपयोग निम्नलिखित के रुप में किया जाता है
- जीवाणुनाशक के रूप में
- जल के शुद्धिकरण में
- ऑक्सीकारक के रूप में
- चीनी को सफेद करने में
- ऊन को सिकुड़ने से बचाने में
बेकिंग या खाने का सोडा (Baking Soda)
रसायनिक नाम : सोडियम बाई कार्बोनेट या सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट
सामान्य नाम : खाने का सोडा
अणु सूत्र : NaHCO₃
अणु भार : 84
निर्माण की विधियां (Methods of Preparation)
सोडियम बाई कार्बोनेट का निर्माण सोडियम कार्बोनेट के संतृप्त जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करने पर होता है।
Na₂CO₃ + CO₂ + H₂O → 2NaHCO₃
भौतिक गुण (Physical Properties)
- सोडियम बाई कार्बोनेट सफेद क्रिस्टलीय ठोस है।
- यह जल में विलेय होता है।
रसायनिक गुण (Chemical Properties)
सोडियम बाई कार्बोनेट का रासायनिक गुण निम्नलिखित है।
- उष्मा का प्रभाव : 100⁰C से अधिक ताप पर गर्म करने पर सोडियम बाई कार्बोनेट (NaHCO₃), सोडियम कार्बोनेट (Na₂CO₃) में परिवर्तित हो जाता है।
- जल अपघटन : सोडियम बाई कार्बोनेट का जल अपघटन होने पर क्षारीय विलयन का निर्माण होता है।
NaHCO₃ + H₂O ⇌ NaOH + H₂CO₃
- अम्लो से क्रिया : सोडियम बाई कार्बोनेट की अम्ल से क्रिया द्वारा लवण व कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण होता है।
NaHCO₃ + H₂SO₄ → Na₂SO₄ + 2H₂O + 2CO₂
उपयोग (Uses)
सोडियम बाई कार्बोनेट के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं।
- अमाशय की अम्लता को दूर करने में।
- झाग युक्त पेय पदार्थ व परिवार नियोजन गोलियों के निर्माण में।
- आग बुझाने वाले यंत्रों में।
- बेकिंग पाउडर के निर्माण में।
- चर्म रोग के निदान में।
- प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
धोने का सोडा या धावन सोडा (Washing Soda)
रसायनिक नाम : सोडियम कार्बोनेट डेका हाइड्रेट
सामान्य नाम : धावन सोडा या सोडा ऐश या क्रिस्टलीय सोडियम कार्बोनेट
अणु सूत्र : Na₂CO₃.10H₂O
अणु भार : 286
निर्माण की विधियां (Methods of Preparation)
प्रयोगशाला में धावन सोडा बनाने के लिए हम तनु सोडियम हाइड्रोक्साइड विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करते हैं। इससे हमें सोडियम कार्बोनेट का विलयन प्राप्त होता है, जिसका वाष्पीकरण करने पर क्रिस्टलीय सोडियम कार्बोनेट (धावन सोडा) प्राप्त होता है।
2NaOH + CO₂ → Na₂CO₃ + H₂O
उपरोक्त विलयन का सांद्रण करने तथा उसके उपरांत विलयन को ठंडा करने पर सोडियम कार्बोनेट के क्रिस्टल (Na₂CO₃.10H₂O) प्राप्त हो जाते हैं।
भौतिक गुण (Physical Properties)
सोडियम कार्बोनेट के भौतिक गुण निम्नलिखित हैं
- सोडियम कार्बोनेट सफेद रंग का क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है।
- यह जल में विलेय होने के पश्चात पर्याप्त ऊष्मा उत्सर्जित करता है।
- निर्जल सोडियम कार्बोनेट चूर्णित अवस्था में होता है। जिसे सोडा ऐश कहते हैं। इस के जलीय विलयन का शानदार करने पर सोडियम कार्बोनेट के क्रिस्टल प्राप्त होते हैं।
रसायनिक गुण (Chemical Properties)
सोडियम कार्बोनेट के रासायनिक गुण निम्नलिखित है
- उष्मा का प्रभाव : क्रिस्टलीय सोडियम कार्बोनेट को शुष्क हवा में खुला छोड़ने पर या हल्का गर्म करने पर इसके क्रिस्टल अंजल का अधिकांश भाग वायुमंडल में चला जाता है तथा Na₂CO₃.H₂O बनता है।
Na₂CO₃.10H₂O → Na₂CO₃.H₂O + 9H₂O
अधिक गर्म करने पर या निर्जल सोडियम कार्बोनेट बनता है जिसे सोडा ऐश भी कहते हैं।
Na₂CO₃.H₂O → Na₂CO₃ + H₂O
- कार्बन डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया :
सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अधिकतम में प्रवाहित करने पर सोडियम बाइकार्बोनेट बनता है।
Na₂CO₃ + H₂O + CO₂ → 2NaHCO₃
उपयोग (Uses)
सोडियम कार्बोनेट के उपयोग निम्न है
- प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
- घरों में साफ-सफाई जैसे- कपड़े धोने में
- जल की कठोरता को दूर करने में
- खाने का सोडा और सुहागा बनाने में
- साबुन, कांच तथा कागज उद्योग में
- अनेक धातु के धातु कर्म में
- रंजको के बनाने में
- जल की स्थाई कठोरता दूर करने में
- आग बुझाने वाले यंत्रों में
- धातु कार्बोनेटो के निर्माण में
प्लास्टर ऑफ पेरिस (Plaster of Paris)
रसायनिक नाम : कैलशियम सल्फेट हेमीहाइड्रेट या कैल्शियम सल्फेट अर्द्ध हाइड्रेट
सामान्य नाम : प्लास्टर ऑफ पेरिस
अणु सूत्र : CaSO₄.½H₂O
अणु भार : 136.134
निर्माण की विधियां (Methods of Preparation)
जब कैलशियम सल्फेट डाइर्हाइड्रेट अर्थात जिप्सम (CaSO₄.2H₂O) को 120 डिग्री सेल्सियस ताप पर गर्म किया जाता है तो निर्जलीकरण के द्वारा प्लास्टर ऑफ पेरिस का निर्माण होता है।
CaSO₄.2H₂O → CaSO₄.½H₂O + 3/2H₂O
भौतिक गुण (Physical Properties)
प्लास्टर ऑफ पेरिस के भौतिक गुण निम्नलिखित हैं
- यह सफेद रंग का चूर्ण है।
- यह जल में अविलेय होता है।
रसायनिक गुण (Chemical Properties)
प्लास्टर ऑफ पेरिस के रासायनिक गुण निम्नलिखित हैं
1.उष्मा का प्रभाव : यदि कैलशियम सल्फेट डाइर्हाइड्रेट को 120 डिग्री सेल्सियस से अधिक ताप पर गर्म किया जाता है तो निर्जलीय प्लास्टर प्राप्त होता है।
CaSO₄.2H₂O → CaSO₄ + 2H₂O
CaSO₄.½H₂O → CaSO₄ + ½H₂O
- जल से क्रिया : प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल से अभिक्रिया कर आने पर जिप्सम का निर्माण होता है।
CaSO₄.½H₂O + 3/2H₂O → CaSO₄.2H₂O
उपयोग (Uses)
प्लास्टर ऑफ पेरिस का निम्नलिखित उपयोग है
- अस्पताल में टूटी हड्डी जोड़ने के लिए प्लास्टर चढ़ाने के काम आता है
- प्लास्टर ऑफ पेरिस से खिलौने तथा मूर्तियां बनाई जाती है।
- चाक बनाने के काम आता है।
- इससे अग्निरोधक पदार्थ के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
क्रिस्टलन जल : जलयोजित लवण
कुछ यौगिकों के क्रिस्टल शुष्क दिखाई देते हैं, परंतु वास्तव में उनमें कुछ जलन संयुक्त रहते हैं, यह जल क्रिस्टलन जल कहलाता है तथा इस प्रकार के लवण को जलयोजित लवण कहते हैं।
जैसे- Na₂CO₃.10H₂O
परीक्षा उपयोगी प्रश्न___________
प्रश्न 1-पीतल एवं तांबे के बर्तन में दही तथा खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए?
उत्तर- खट्टे पदार्थ जैसे- दही, नींबू का रस, इमली का रस, अचार आदि में उपस्थित अम्ल तांबे अथवा पीतल से अभिक्रिया करके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक लवण उत्पन्न करता है। अतः इन्हें पीतल या तांबे के बर्तनों में ना रखकर कार्य अथवा चीनी मिट्टी के बर्तनों में रखना चाहिए।
प्रश्न 2- धोने के सोडा एवं बेकिंग सोडा के 2-2 प्रमुख उपयोग बताइए।
उत्तर- इस प्रश्न का उत्तर आपको उपर्युक्त देखने को मिल जाएगा।
प्रश्न 3- प्रारंभिक अवधारणा के अनुसार आम लोगों किस प्रकार परिभाषित किया गया था?
उत्तर- इस प्रश्न का जवाब आपको उपयुक्त देखने को मिलेगा।
प्रश्न 4-आसवित जल विद्युत का चालक नहीं होता है, जबकि वर्षा का जल होता है। क्यों?
उत्तर- क्योंकि आज आसवित जल में कोई अनुपस्थित नहीं होता है जबकि वर्षा के जल में वायुमंडल में उपस्थित अशुद्धियों जैसे- CO₂, SO₂, NO₂ आदि के घूमने के कारण मुक्त आयन उपस्थित होते हैं।
प्रश्न 5-विरंजक चूर्ण का रासायनिक नाम व सूत्र लिखिए।
उत्तर- इस प्रश्न का उत्तर उपर्युक्त दिया गया है।