Sociology BA/Bsc/B.com 2nd Semester Important Questions – समाजशास्त्र सीरीज पीडीएफ 

Sociology BA/Bsc/B.com 2nd Semester Important Questions – समाजशास्त्र सीरीज पीडीएफ 

नमस्कार दोस्तो स्वागत है आप सभी का examwalah.com की इस नये पोस्ट में। इस पोस्ट में Sociology BA/Bsc/B.com 2nd Semester Important Questions कि पारे में चर्चा करेंगे। 

जैसा कि हम सभी जानते हैं की कुछ विद्यार्थी जो BA या Bsc या‌ B.com कर रहे हैं, वे लोग समाजशास्त्र जैसे सब्जेक्ट को Minar या Majar की रूप में स्वीकृत किए रहते हैं। 

यदि आपका भी यह सब्जेक्ट है और इसके महत्वपूर्ण प्रश्न की तलाश कर रहे हैं तो आज की इस पोस्ट में, समाजशास्त्र के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न को दिया गया है।

सबसे पहले हम समाजशास्त्र के महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न को देखेंगे। 

 

Sociology BA/Bsc/B.com 2nd Semester Important Questions - समाजशास्त्र सीरीज पीडीएफ 

 

खण्ड-अ 

(Section-A)

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

(Very short answer type question)

 

प्रश्न-1. भारतीय समाज एवं संस्कृति की चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर – भारतीय समाज एवं संस्कृति की चार विशेषताओं निम्नलिखित है-

  • प्राचीनता एवं स्थायित्य-विश्व के अन्य सामाजिक संगठनों की तुलना में भारतीय सामाजिक संगठन बड़ा प्राचीन है। इसके मौलिक सिद्धान्त आज भी वही हैं जो प्राचीन काल में थे।
  • सहिष्णुता भारतीय सामाजिक संगठन में सहिष्णुता का गुण पाया जाता है। यह सभी संस्कृतियों के गुणों को समय और आवश्यकतानुसार आत्मसात करता रहा है।
  • अध्यात्मवाद-भारतीय संस्कृति में अध्यात्मवाद को महत्त्व दिया गया है। भौतिक सुख और भोग-लिप्सा कभी भी जीवन का ध्येय नहीं माना गया है।
  • धर्म की प्रधानता भारतीय संस्कृति धर्म प्रधान है। धर्म के द्वारा मानव जीवन के प्रत्येक व्यवहार को नियन्त्रित करने का प्रयास किया गया है।
प्रश्न-2. ग्रामीण-नगरीय अनुबन्ध की व्याख्या कीजिए।

उत्तर– ग्रामीण-नगरीय सातत्य एक आधुनिक प्रक्रिया है जो किसी भी ग्रामीण या नगरीय क्षेत्र में देखी जा सकती है। यह एक ऐसी घटना है जो अंशों में परिलक्षित होती है। वर्तमान समय में किसी भी घटना को न तो पूर्ण रूप से ग्रामीण कह सकते हैं और न पूर्ण रूप से नगरीय ही। समस्त ग्रामीण घटनाएँ एक प्रक्रिया के रूप में कालान्तर में नगरीय रूप धारण करती हैं।

प्रश्न-3. ग्रामीण एवं नगरीय समाज में चार अन्तर लिखिए।

उत्तरग्रामीण एवं नगरीय समाज में चार अन्तर निम्न है –

  • गाँव की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है, जबकि नगर की अर्थव्यवस्था का आधार उद्योग एवं कारखाने हैं।
  • गाँव में जनसंख्या विरल होती है, जबकि नगरों में जनसंख्या सघन होती है।
  • गाँवों में पास-पड़ोस का विशेष महत्त्व होता है, जबकि नगरों में पास-पड़ोस का विशेष महत्त्व नहीं होता।
  • आमों में अधिकांश संयुक्त परिवार पाये जाते हैं, जबकि नगरों में एकाकी परिवार की प्राथमिकता होती है। 
प्रश्न-4. नगरीय समाज की चार विशेषताएँ लिखीए। 

उत्तर- नगरीय समाज की चार विशेषताएं

(1) जनसंख्या का आधिक्य, 

(2) आर्थिक क्रियाओं का केन्द्र, 

(3) द्वितीयक सम्बन्धों की प्रधानता, 

(4) सामाजिक समस्याओं का केन्द्र।

प्रश्न-5. नगर को परिभाषित कीजिए।

उत्तर-

  • विलकाक्स के अनुसार “जहाँ मुख्य व्यवसाय कृषि है, उसे गाँव, जहाँ कृषि के अतिरिक्त अन्य व्यवसाय प्रचलित हैं, उसे शहर कहेंगे।”
  • बर्गेल के अनुसार “नगर ऐसी संस्था है जहाँ के अधिकतर निवासी कृषि कार्य के अतिरिक्त अन्य उद्योगों में व्यस्त हों।”
प्रश्न-6. नगर क्या है?

उत्तर-नगर केवल एक निवास स्थान ही नहीं, वरन् एक विशिष्ट पर्यावरण का सूचक भी है. यह जीवन जीने का विशिष्ट बंग और एक विशिष्ट संस्कृति का सूचक भी है। नगरों की जनसंख्या अधिक होती है, वहाँ जनघनत्व भी अधिक पाया जाता है।

प्रश्न-7. भारतीय विद्या अभिगम से आप क्या समझते हैं?
अथवा
भारतीय समाज का अध्ययन करने के लिए भारतीय विद्या परिप्रेक्ष्य को संक्षेप में बताइए। 

उत्तर– शास्त्रों के अध्ययन हेतु अति सन्निकट जाने के लिए ही अध्ययन अधिगम शब्द को भारतीय विद्याओं को प्राप्त करने हेतु ‘भारतीय विद्या अभिगम’ शब्द को प्रयुक्त किया गया है। इस प्रकार स्पष्ट होता है कि भारतीय विद्या अभिगम के अन्तर्गत भारतीय शिलालेखों, ऐतिहासिक अभिलेखों के तथ्यों, पारम्परिक एवं प्राचीन ग्रन्थों के विश्लेषण के आधार पर भारतीय समाज की व्याख्या की जाती है।

प्रश्न-8. भारतीय विद्या अभिगम की दो सीमाएँ लिखिए।

उत्तर- भारतीय विद्या अभिगम की दो सीमाएँ निम्नलिखित हैं– 

  • वैदिक काल से लेकर स्मृति काल तक के समस्त ग्रन्थों का आधार धार्मिक है, न कि सामाजिक। सामाजिक आधार के अभाव में इन ग्रन्थों को समाजशास्त्रीय अध्ययनों के आधार के रूप में नहीं लिया जा सकता। 
  • इन ग्रन्थों के समस्त अध्ययनों का आधार कल्पना व धर्म है फलस्वरूप इनमें वैज्ञानिक तथ्यों का पूर्ण अभाव है।

 

प्रश्न-9. भारतीय समाजशास्त्र में भारतीय विद्या अभिगम का क्या योगदान है?

उत्तर– भारतीय विद्या अभिगम भारत के प्राचीन व पारम्परिक ग्रन्थों का विश्लेषण कर भारतीय समाजशास्त्र को समझने का प्रयास करता है। यह उन समाजशास्त्रीय बोध पक्षों का उल्लेख करता है जिन्हें हम वेद, उपनिषद, गृह्य-सूत्र, रामायण, महाभारत, धर्मशास्त्र विशेषकर यह भारतीय समाज को समझने में इन ग्रन्थों की उपयोगिता एवं उनकी प्रासंगिकता को स्पष्ट करता है।

प्रश्न-10. भारत के सन्दर्भ में ‘विविधता में एकता’ को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-भारतीय समाज व सामाजिक संगठन की एक मुख्य विशेषता विविधता में एकता है। भारतीय सामाजिक संगठन अनेक प्रकार की विविधताएँ लिए हुए है, जैसे कि भौगोलिक विविधता, प्रजातीय विविधता, जनजातीय विविधता, भाषाई विविधता, धार्मिक विविधता एवं राजनीतिक विविधता आदि। इन सभी विविधताओं के बावजूद भारतीय समाज व सामाजिक संगठन में मूल रूप में एकता पायी जाती है।

प्रश्न-11. भारतीय समाज एवं पाश्चात्य समाज में दो अन्तर बताइए। 

उत्तर- भारतीय समाज एवं पाश्चात्य समाज में वो अन्तर निम्नलिखित हैं

  • भारतीय समाज की संयुक्त परिवार प्रणाली एक विशेषता कही जा सकती है जबकि पाश्चात्य समाज में एकाकी परिवार अथवा मूल परिवारों की प्रधानता पायी जाती है।
  • भारतीय समाज में व्यक्ति की अपेक्षा समूह अधिक महत्त्वपूर्ण है जबकि पाश्चात्य समाज में व्यक्तिवादी विचारधारा पायी जाती है।
प्रश्न-12. भारतीय समाज के दो सामाजिक-ऐतिहासिक आधार बताइए। 

उत्तर- भारतीय समाज के दो सामाजिक-ऐतिहासिक आधार निम्नलिखित हैं-

  • कर्म एवं पुनर्जन्म-भारतीय समाज व सामाजिक संगठन में कर्म एवं पुनर्जन्म का भी प्रमुख स्थान रहा है। कर्मों के अनुसार ही वह शरीर प्राप्त करता है। इस प्रकार यह आधार पर व्यक्ति को अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करता है।
  • संस्कार-भारतीय समाज व सामाजिक संगठन में संस्कारों का भी महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। वैदिक युग से ही संस्कारों को महत्त्वपूर्ण माना गया है।
प्रश्न-13. वर्तमान समाज में जाति व्यवस्था में क्या परिवर्तन हो रहे हैं? 

उत्तर– आज जाति एवं व्यवसाय का कोई सम्बन्ध नहीं है। प्रेम-विवाह बढ़ रहे हैं। अन्तर्जातीय विवाह बढ़ रहे हैं। खान-पान के सम्बन्ध अब ढीले पड़ रहे हैं। जातीय दूरी धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। जाति सम्बन्धी सभी निषेध भी समाप्त हो गये हैं।

प्रश्न-14. संरचनात्मक प्रकार्यात्मक अभिगम के विषय में डेविस का क्या कथन है?

उत्तर- डेविस ने इस अभिगम को समाजशास्त्र का पर्याय माना है। उनके अनुसार समाजशास्त्र में मात्र एक ही उपयुक्त व सही अभिगम है- संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक अभिगम। 

प्रश्न -15. संरचनात्मक प्रकार्यात्मक अभिगम की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-

  • प्रकार्यवादी समाज को एक व्यवस्था मानते हैं।
  • व्यवस्था के विभिन्न भाग परस्पर अन्तःसम्बन्धित तथा अन्तः निर्भर हैं।
  • संरचना प्रत्येक कार्य से सम्बन्धित है।
  • संरचना या व्यवस्था के प्रकार्य समाज के लिए उपयोगी माने जाते हैं। 
प्रश्न-16. मर्टन के अनुसार अकार्य क्या है?

उत्तर- मर्टन के अनुसार अकार्य वे अवलोकनीय परिणाम हैं जो किसी व्यवस्था से अनुकूलन अथवा समायोजन को कम करते हैं। अकार्य परिणामों की सम्भावना भी हो सकती है जो व्यवस्था के लिए किसी तरह से उपयोगी नहीं होते हैं। 

प्रश्न-17. प्रत्यक्ष प्रकार्य क्या है?

उत्तर- प्रत्यक्ष प्रकार्य से तात्पर्य उन प्रत्यक्ष अवलोकनीय परिणामों से है जो कि व्यवस्था में अनुकूलन अथवा समायोजन लाते हैं और जो इस व्यवस्था में भाग लेने वाले सदस्यों द्वारा वांछित हैं तथा जिन्हें वे जानते हैं।

प्रश्न-18. नृजातीय समूह क्या है?
अथवा
संजातीय समूह से आप क्या समझते हैं?

उत्तर-नृजातिकी समूह किसी समाज की जनसंख्या का वह भाग होता है जो परिवार की पद्धति, भाषा, मनोरंजन, प्रथा, धर्म, संस्कृति एवं उत्पत्ति आदि के आधार पर अपने को दूसरों से पृथक् समझता है। दूसरे शब्दों में, “एक प्रकार की भाषा, प्रथा, धर्म, परिवार, रंग एवं संस्कृति से सम्बन्धित लोगों के एक समूह को नृजातिकी की संज्ञा प्रदान की जा सकती है।”

प्रश्न-19. संजातीय समूह की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-एक नृजातिकी के लोगों में परस्पर प्रेम, सहयोग एवं संगठन पाया जाता है, उनमें अहं की भावना पायी जाती है। एक नृजातिकी के लोग दूसरी नृजातिकी के लोगों से अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने हेतु अपनी भाषा, वेश-भूषा, रीति-रिवाज एवं उपासना पद्धति की विशेषताओं को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं।

प्रश्न-20. भारतीय संस्कृति में पायी जाने वाली सांस्कृतिक प्रतिमान सम्बन्धी विविधताएँ क्या हैं? 

उत्तर- भारत में प्रथाओं, वेश-भूषा, खान-पान, रहन-सहन, कला आदि के दृष्टिकोण से भी पर्याप्त भिन्नताएँ पायी जाती हैं। प्रत्येक क्षेत्र के लोगों की अपनी विशिष्ट प्रथाएँ हैं और यहाँ तक कि एक ही क्षेत्र के विभिन्न धार्मिक समूहों की प्रथाओं में भी बहुत अन्तर है। 

प्रश्न-21.संविधान के आठवें अनुच्छेद में कितनी भाषाओं को मान्यता दी गयी है?

उत्तर – संविधान के आठवें अनुच्छेद में 18 भाषाओं को मान्यता दी गयी है।

प्रश्न-22. राष्ट्र भाषा हिन्दी पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।

उत्तर-‌ हिन्दी भाषा इण्डो-आर्यन भाषा परिवार की एक प्रमुख भाषा है, जिसकी लिपि है देवनागरी। इसे बोलने वाले लोग 33.72 करोड़ अर्थात् कुल जनसंख्या का लगभग 39.85 प्रतिशत भाग है।

प्रश्न-23. किस अनुच्छेद के तहत हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है? 

उत्तर- संविधान के 243 (1) अनुच्छेद में।

प्रश्न-24. इस्लाम धर्म की तीन नैतिक शिक्षाओं को बताइए।

उत्तर-इस्लाम धर्म की तीन शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं- 

  • इस्लाम धर्म संयम, परोपकार, क्षमा, ईमानदारी एवं निर्लोभिता पर विशेष बल देता है।
  • इस्लाम धर्म मूर्ति-पूजा, अवतारवाद तथा ऊँच-नीच के भेद का विरोध करता है।
  • भक्ति तथा ईश्वर के प्रति आत्मा का आकर्षण।
प्रश्न-25. इस्लाम धर्म के संस्थापक कौन थे?

उत्तर- इस्लाम धर्म के संस्थापक मोहम्मद साहब थे।

प्रश्न-26. इस्लाम धर्म की पवित्र पुस्तक का नाम बताइए।

उत्तर- इस्लाम धर्म की पवित्र पुस्तक कुरान है। 

प्रश्न-27. इस्लाम धर्म के चार सिद्धान्त बताइए।

उत्तर- इस्लाम धर्म के चार सिद्धान्त 

  • दिन में पाँच बार नमाज पढ़ना, 
  • प्रत्येक शुक्रवार को सामूहिक नमाज पढ़ना, 
  • रमजान के महीने में रोजा रखना,
  • मक्का की तीर्थयात्रा या हज करना।
प्रश्न-28. बौद्ध धर्म के संस्थापक कौन थे?

उत्तर– बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा गौतम बुद्ध थे जो नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के शाक्यों के प्रधान शुद्धोधन के पुत्र थे।

प्रश्न-29. बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्यों के नाम लिखिए।

उत्तर- चार आर्य सत्य निम्नलिखित हैं- 

  • दुःख, 
  • दुःख समुदय, 
  • दुःख निरोध,
  • दुःख निरोध मार्ग।

Sociology BA/Bsc/B.com 2nd Semester Important Questions

प्रश्न-30. अनुसूचित जनजाति से क्या तात्पर्य है?

उत्तर- साधारणतया जनजाति का तात्पर्य एक ऐसे मानव-समूह से समझ लिया जाता है जिसका रहन-सहन और रीति-रिवाज बहुत कुछ आदिम प्रकृति का हो। जनजातियों को ‘आदिवासी’ अथवा ‘वन्य जाति’ शब्द से केवल इसलिए सम्बोधित किया जाता है कि वह मानव की आदिकालीन संस्कृति के प्रतिनिधि हैं।

प्रश्न-31. जनजातियों की दो विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर-

  • जनजातियाँ सभ्य समाज से दूर घने जंगलों के बीच निवास करती हैं। इनका अपना विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र होता है।
  • जनजाति की अवधारणा के अन्तर्गत हम आदिम परिवार या परिवारों के समूह को सम्मिलित करते हैं।
प्रश्न-32. भारत की चार जनजातियों के नाम लिखिए।

उत्तर- भील, गोंड, संथाल, खासी आदि भारत की प्रमुख जनजातियाँ हैं

 प्रश्न-33. जनजातियों की चार आर्थिक समस्याएँ लिखिए।
अथवा
वर्तमान परिदृश्य में भारतीय जनजातियों की कुछ समस्याओं का उल्लेख कीजिए

उत्तर- जनजातियों की चार आर्थिक समस्याएँ 

  • स्थानान्तरित खेती सम्बन्धी समस्या,
  • नयी भूमि व्यवस्था सम्बन्धी समस्या,
  • ऋणग्रस्तता,
  • औद्योगिक श्रमिकों की समस्याएँ।
प्रश्न-34. जनजातियों की आर्थिक समस्या को दूर करने के दो सुझाव दीजिए। 

उत्तर- 

  • कानून द्वारा आदिवासियों को एक ऐसा संरक्षण प्रदान किया जाय कि उनके हाथ से उनकी भूमि न निकल सके।
  • आधुनिक तरीके से खेती करने की शिक्षा दी जाय ताकि वे अपने अन्धविश्वासों से छुटकारा पा सकें। 

 

प्रश्न-35. जाति और वर्ग में अन्तर कीजिए।

उत्तर- जाति और वर्ग में अन्तर 

  • जाति की सदस्यता जन्म से निर्धारित होती है, जबकि वर्ग की सदस्यता धन, जीवन के स्तर, शिक्षा इत्यादि पर आधारित होती है। 
  • जाति में बंद संस्तरण होता है, जबकि वर्ग में मुक्त संस्तरण निहित होता है।
प्रश्न-36. जाति को परिभाषित कीजिए।

उत्तर-

  • यह परिवारों या परिवारों के समूह का एक संकलन है जिसका एक सामान्य नाम है, जो एक काल्पनिक पुरुष या देवता से उत्पत्ति और एक से पारस्परिक व्यवसाय को अपनाने का दावा करती है तथा उन लोगों की दृष्टि में एक समरूप समाज का निर्माण करती है जो अपने मत को देने योग्य हैं।”    -प्रो० हर्बर्ट रिजले
  • “जब एक वर्ग पूर्णतः आनुवंशिकता पर आधारित होता है तब हम उसे जाति कहते हैं।”   -कूले

 

प्रश्न-37. जाति-प्रथा की चार विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- जाति प्रथा की विशेषताएँ 

  •  जाति जन्मजात होती है, 
  • जाति में खान-पान सम्बन्धी नियम होते हैं, 
  • अधिकांश जातियों के व्यवसाय निश्चित होते हैं. 
  • जाति में ऊँच-नीच और छुआछूत के नियम होते हैं।
प्रश्न-38. जाति समुदाय के लिए जाति के चार कार्य लिखिए।

उत्तर-जाति समुदाय के लिए जाति के चार कार्य 

  • धार्मिक भावनाओं की रक्षा,
  • सामाजिक स्थिति को निश्चित करती है।
  • रक्त की शुद्धता बनाये रखने में सहायक, 
  • सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा,

 

प्रश्न-39. सामाजिक जीवन में जाति के चार कार्य लिखिए।

उत्तर- सामाजिक जीवन में जाति के चार कार्य 

  • सामाजिक संगठन एवं एकता में सहायक, 
  • आवश्यक प्रशिक्षण, कार्य एवं कुशलता प्रदान करना, 
  • समाज में श्रम विभाजन की सरलतम व्यवस्था, 
  • राजनैतिक स्थिरता बनाये रखना।

 

प्रश्न-40. वर्ण एवं जाति में दो अन्तर लिखिए।

उत्तर- 

  • वर्ण व्यक्ति के गुण तथा कार्य पर आधारित है, जबकि जाति व्यक्ति के जन्म पर आधारित है। 
  • वर्ण समानता पर आधारित होते हैं, जबकि जातियों में ऊँच-नीच का भेद होता है।
प्रश्न-41. हिन्दू विवाह के उद्देश्य बताइए।

उत्तर-

  • धर्म-हिन्दुओं में विवाह का सबसे प्रमुख उद्देश्य अपने धार्मिक कर्तव्य का पालन करना है। सभी धार्मिक कार्यों के निष्पादन के लिए पति एवं पत्नी का एक साथ भाग लेना आवश्यक है।
  • प्रजा (सन्तान) – हिन्दू परिवार का दूसरा उद्देश्य पैतृक ऋण चुकाना है। हिन्दू धर्म के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को तीन प्रकार के ऋण चुकाने पड़ते हैं- देवऋण, गुरुऋण एवं पितृऋण।
  • रति (आनन्द) – हिन्दू विवाह का तीसरा उद्देश्य रति या आनन्द है। विवाह यौन सन्तुष्टि अथवा कामवासना की पूर्ति का भी साधन है।

 

प्रश्न-42. विवाह को परिभाषित कीजिए।

उत्तर- 

  • “विवाह स्त्री और पुरुष को पारिवारिक जीवन में प्रवेश कराने वाली संस्था है।”          – बोगार्ड
  • “विवाह एक प्रजननमूलक परिवार की स्थापना का समाज द्वारा स्वीकृत एक तरीका है।” – गिलिन तथा गिलिन
प्रश्न-43. हिन्दू विवाह की चार विशेषताएँ लिखिए। 

उत्तर- हिन्दू विवाह की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • एक धार्मिक संस्कार-भारतीय धर्म ग्रन्थों में विवाह को एक धार्मिक संस्कार माना गया है।
  • एकविवाह-हिन्दू विवाह की दूसरी प्रमुख विशेषता एकविवाह है और इसे प्रारम्भ से ही आदर्श विवाह माना गया है।
  • अन्तर्विवाह-हिन्दुओं में विवाह अन्तर्विवाही है अर्थात् प्रत्येक हिन्दू को अपनी ही जाति में विवाह करना पड़ता है।
  • सगोत्र, सप्रवर तथा सपिण्ड बहिर्विवाह-यद्यपि हिन्दुओं में अपनी ही जाति में विवाह करने की प्रथा रही है फिर भी अपने गोत्र, प्रवर तथा सपिण्ड में विवाह नहीं किया जाता।
प्रश्न-44. हिन्दू विवाह के प्रकार लिखिए।

उत्तर- हिन्दू विवाह के प्रकार निम्नलिखित हैं-

  • ब्रह्म विवाह, 
  • आर्ष विवाह, 
  • प्राजापत्य विवाह, 
  • आसुर विवाह,
  • गान्धर्व विवाह,
  • राक्षस विवाह, 
  • पैशाच विवाह।

 

प्रश्न-45. अनुलोम विवाह क्या है?

उत्तर- अनुलोम विवाह उस विवाह को कहते हैं जिसमें पुरुष उच्च वर्ग का और स्त्री निम्न वर्ग की होती है अर्थात् इस प्रकार के विवाह में ऊँची जाति के पुरुष नीची जातियों की स्त्रियों के साथ विवाह करते हैं।

 

प्रश्न-46.  प्रतिलोम विवाह क्या है?

उत्तर- प्रतिलोम विवाह के अन्तर्गत नीची जातियों के पुरुष ऊंची जातियों की स्त्रियों से विवाह करते हैं।

 

प्रश्न-47. धर्म को परिभाषित कीजिए।

उत्तर-

  • “धर्म आध्यात्मिक शक्तियों पर विश्वास है।”.    – टायलर
  • “धर्म को मैं मनुष्य से श्रेष्ठ उन शक्तियों की सन्तुष्टि या आराधना समझता हूँ जिनके सम्बन्ध में यह विश्वास किया जाता है कि वे मानव को मार्ग दिखाती और नियन्त्रित करती है।”   – सर जेम्स फ्रेजर

 

प्रश्न-48. हिन्दू सामाजिक जीवन में धर्म के चार महत्त्व लिखिए।

उत्तर-

  • धर्म ने व्यक्तित्व के निर्माण में सदैव सहायता पहुंचायी है।
  • धर्म सामाजिक नियन्त्रण का भी एक महत्त्वपूर्ण साधन रहा है।
  • धर्म ने व्यक्ति को कर्त्तव्यों का पालन करने के लिए सदैव प्रेरित किया है।
  • हिन्दू धर्म सामाजिक एकता का पोषक है।

 

प्रश्न-49.धर्म की कोई चार विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- धर्म की विशेषताएँ 

  • अलौकिक शक्ति में विश्वास, 
  • आशा एवं शक्ति का स्रोत, 
  • पवित्रता से सम्बन्ध, 
  • विशिष्ट धार्मिक प्रतीक।

 

प्रश्न-50. सामान्य और विशिष्ट धर्म में दो अन्तर लिखिए।

उत्तर-

  • सामान्य धर्म का क्षेत्र व्यापक है, जबकि विशिष्ट धर्म का क्षेत्र अपेक्षाकृत रूप में सीमित।
  • सामान्य धर्म सम्पूर्ण समाज के कल्याण से सम्बन्धित है, जबकि विशिष्ट धर्म अन्य व्यक्तियों के सन्दर्भ में दायित्व निर्वाह से।

 

प्रश्न-51. वर्ग से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- सामाजिक वर्ग का तात्पर्य उन व्यक्तियों के समूह से होता है, जिनकी किसी समाज में समान स्थिति होती है। जब समाज के कुछ लोगों में एक सामान्य समानता होने के कारण उनकी स्थिति में समानता होती हैं तो इन समान स्थिति प्राप्त व्यक्तियों के समूह को वर्ग कहते हैं।

 

प्रश्न-52. वर्ग को परिभाषित कीजिए।

उत्तर-

  • “एक सामाजिक वर्ग उन व्यक्तियों का योग है जिसका आवश्यक रूप से समाज एक निश्चित समाज में समान सामाजिक पद है।” आगबर्न तथा निमकॉफ
  • “एक सामाजिक वर्ग सुस्पष्ट सांस्कृतिक समूह है जिसे कि सम्पूर्ण जनसंख्या में एक विशेष स्थान अथवा पद प्रदान किया जाता है।” – लेपियर

 

प्रश्न-53. सामाजिक वर्ग की दो विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर-

  •  ऊँच-नीच की भावना या मनोवृत्ति – प्रत्येक वर्ग के सदस्य अपने दूसरे वर्गों के सदस्यों के प्रति ऊँच-नीच की भावना या मनोवृत्ति रखते हैं।
  • आधार-वर्ग निर्माण के अनेक आधार होते हैं, जैसे धन, आयु, लिंग, योग्यता, राजनैतिक शक्ति आदि।

 

प्रश्न-54. सामाजिक वर्ग के अप्रत्यक्ष आधार से क्या तात्पर्य है?

उत्तर- वर्ग-भेद के अप्रत्यक्ष आधारों का तात्पर्य विभिन्न वर्गों के सदस्यों में पायी जाने वाली उन भावनाओं से है जिसके आधार पर वे एक-दूसरे वर्ग के सदस्यों को उच्च और निम्न समझते हैं।

 

प्रश्न-55. संयुक्त परिवार से क्या आशय है?

उत्तर- सामान्य नियम, सामान्य रसोई, उत्पादन की सगठित व्यवस्था, सयुक्त पूँजी, सामान्य भरण-पोषण, सामान्य धर्म एवं दायित्वों का पारस्परिक रूप से निर्वाह तथा कर्ता की महत्त्वपूर्ण स्थिति के कारण हिन्दू परिवार व्यवस्था को संयुक्त परिवार कहा जाता है।

 

Sociology BA/Bsc/B.com 2nd Semester Important Questions

प्रश्न-56. संयुक्त परिवार को परिभाषित कीजिए।

उत्तर- “यदि कई मूल परिवार एक साथ रहते हों और इनमें निकट का नाता है, एक ही स्थान पर भोजन करते हैं और एक आर्थिक इकाई के रूप में कार्य करते हों तो सम्मिलित रूप से संयुक्त परिवार कहा जा सकता है।” -डॉ० श्यामाचरण दुबे 

 

प्रश्न-57. संयुक्त परिवार के चार गुण लिखिए।

उत्तर- संयुक्त परिवार के चार गुण 

  • बच्चों का समुचित पालन-पोषण,
  • परोपकारी एवं सामूहिक जीवन,
  • वृद्धावस्था में सुरक्षा, 
  • नवीन पति-पत्नियों पर हल्का भार।

 

प्रश्न-58. संयुक्त परिवार के चार दोष लिखिए।

उत्तर- संयुक्त परिवार के चार दोष- 

  • द्वेष एवं क्लेश का केन्द्र, 
  • स्त्रियों की दुर्दशा,
  • बाल-विवाह को प्रोत्साहन, 
  • अधिक सन्तान उत्पादन।

 

प्रश्न-59. कृषक को परिभाषित कीजिए।

उत्तर- चैम्बर्स ट्वेण्टियथ सेंचुरी डिक्शनरी में कृषक एवं कृषक वर्ग की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि कृषक वह है, जो ग्रामीण है, देहाती है, जिसका व्यवसाय ग्रामीण कार्य है और कृषक वर्ग वह है जिसमें कृषि या भूमि को जोतने वाले देहाती श्रमिक आते हैं।

 

प्रश्न-60. कृषक समाज की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर- कृषक समाज की विशेषताएँ निम्न हैं-

  • कृषक समाज अपेक्षतया एक समरूप समाज है। 
  • इसके सदस्य अपना जीवन-यापन भूमि को जोतकर एवं उस पर नियंत्रण रख कर करते हैं। 
  • कृषक समाज नगरों या कस्बों के कुलीन वर्ग से भिन्न हैं।
  • आर्थिक आधार पर कृषक समाज अन्य समाजों से भिन्नता लिए हुए होता है।

 

प्रश्न-61.  रॉबर्ट रेडफील्ड ने कृषक समाज को किस प्रकार परिभाषित किया है?

उत्तर- रेडफील्ड ने कृषक समाज को परिभाषित करते हुए लिखा है. “वे ग्रामीण लोग जो जीवन निर्वाह के लिए अपनी भूमि पर नियन्त्रण बनाये रखते हैं और उसे जोतते है तथा कृषि जिनके जीवन के परम्परागत तरीके का एक भाग है और जो कुलीन वर्ग या नगरीय लोगों की ओर देखते हैं और उनसे प्रभावित होते हैं, जिनके जीवन का ढंग उन्हीं के समान है लेकिन कुछ अधिक प्रकार का है।”

 

प्रश्न-62. आन्द्रे बेतेई के अनुसार कृषक समाज की अवधारणा क्या है?

उत्तर- कृषक भूमि से सम्बद्ध होता है। वह न केवल भूमि पर रहता है वरन् उसे अपने श्रम से फलदायक बनाता है। कानूनी दृष्टि से वह भूमि का स्वामी, उसे किराये पर जोतने वाला या बिना भू-स्वामी अधिकार से एक श्रमिक हो सकता है लेकिन इन सभी स्थितियों में वह अपनी आजीविका श्रम द्वारा कमाता है। कुछ लोग कृषक शब्द का प्रयोग भू-स्वामी किसानों के लिए करते हैं, तो कुछ अन्य इसमें किराये पर भूमि जोतने वालों तथा भूमिहीन श्रमिकों को भी सम्मिलित करते हैं।

 

प्रश्न-63. पिछड़े वर्ग से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- सामान्य शब्दों में कहा जा सकता है कि “सवर्ण जातियों तथा अनुसूचित जातियों के बीच जो अन्य जातियाँ विकास के अवसरों से वंचित रही हैं, उन्हीं को हम पिछड़े वर्ग (ओबीसी) कहते हैं।”

 

प्रश्न-64. पिछड़े वर्गों की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- 

  • अन्य जाति के समान पिछड़े वर्गों की सदस्यता भी जन्म के आधार पर ही निर्धारित होती है।
  • प्रायः पिछड़े वर्ग लघु भू-स्वामी होते हैं जो अपने जीविकोपार्जन के लिए मुख्यतः कृषि पर आश्रित होते हैं।

 

प्रश्न-65. अन्य पिछड़े वर्गों की चार समस्याएँ लिखिए।

उत्तर-अन्य पिछड़े वर्गों की समस्याएँ 

  • सामाजिक समस्याएँ, 
  • आर्थिक समस्याएँ, 
  • पिछड़ेपन का राजनीतीकरण,
  • आन्तरिक असमानताएँ। 

 

प्रश्न-66. अन्य पिछड़े वर्गों की समस्याओं के निराकरण हेतु दो सुझाव दीजिए।

उत्तर- 

  • यह आवश्यक है कि अन्य पिछड़े वर्गों की सूची में उन्हीं जातियों को सम्मिलित किया जाय जो सामाजिक तथा शैक्षणिक आधार पर वास्तव में पिछड़ी हुई हैं।
  • जो जातियों वास्तव में पिछड़ी हुई हैं, जिनमें शिक्षा और सामाजिक जागरूकता का अभाव है, उन्हें समुचित प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता प्रदान की जाय।

 

प्रश्न-67. पिछड़े वर्ग से सम्बन्धित काका कालेलकर आयोग का गठन कब हुआ? 

उत्तर- 29 जनवरी सन् 1953 में।

प्रश्न-68. मण्डल आयोग की नियुक्ति कब हुई ? इस आयोग के अध्यक्ष कौन थे? 

उत्तर- 1 जनवरी, 1979 ई० को मण्डल आयोग की नियुक्ति हुई। इस आयोग के अध्यक्ष वी० पी० मण्डल थे।

प्रश्न-69. अनुसूचित जाति से क्या तात्पर्य है?

उत्तर- सामान्य रूप से अनुसूचित जाति का अर्थ उन अस्पृश्य जातियों से लगाया जाता है, जो कि घृणित पेशों या व्यवसायों के माध्यम से अपनी जीविका चलाती हैं।

प्रश्न-70. अनुसूचित जाति को परिभाषित कीजिए। 

उत्तर- “अस्पृश्य जातियाँ वे जातियाँ हैं जो विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक निर्योग्यताओं से पीड़ित हैं, जिनमें बहुत सी निर्योग्यताएँ उच्च जातियों द्वारा परम्परागत रूप से निर्धारित और सामाजिक रूप से लागू की गयी हैं।” -डॉ० मजूमदार

प्रश्न-71. अनुसूचित जातियों की दो सामाजिक समस्याएँ लिखिए।

 उत्तर- अनुसूचित जातियों की दो सामाजिक समस्याएँ-

  • निम्न स्थिति-परम्परागत रूप से चली आ रही अस्पृश्यता की विचारधारा के कारण अनुसूचित जाति को समाज निम्न जाति मानता है तथा उच्च जातियों के सदस्यों द्वारा उन्हें घृणा की दृष्टि से देखा जाता है।
  • सामाजिक सम्पर्क पर रोक अनुसूचित जाति अर्थात् अस्पृश्य जातियों के द्वारा सम्पर्क पर रोक भी एक सामाजिक समस्या है। इन्हें उच्च जातियों से सामाजिक सम्पर्क रखने, उत्सवों व कार्यक्रमों में सहभागी बनने तथा खान-पान का सम्बन्ध भी रखने से वंचित रखा गया।
प्रश्न-72. अनुसूचित जातियों की चार आर्थिक समस्याएँ लिखिए।

उत्तर- अनुसूचित जातियों की चार आर्थिक समस्याएँ 

  • व्यवसाय चयन की स्वतन्त्रता नहीं, 
  • सम्पत्ति रखने की स्वतन्त्रता नहीं,
  • सेवा कार्य का पारिश्रमिक कम,
  • श्रम विभाजन में निम्नतम स्थिति।
प्रश्न-73. अनुसूचित जातियों की अस्पृश्यता सम्बन्धी चार समस्याएँ बताइए।

उत्तर- 

  • सार्वजनिक पूजा के स्थानों में प्रवेश नहीं कर सकते। 
  • धार्मिक क्रियाओं का सम्पादन नहीं कर पाना। 
  • सार्वजनिक कुओं व तालाबों का प्रयोग नहीं कर पाना। 
  • होटलों, जलपान-गृहों, मनोरंजन के स्थलों पर प्रवेश नहीं कर पाना।

 

प्रश्न-74. अनुसूचित जनजातियों की समस्या के हल हेतु चार प्रयास लिखिए।

उत्तर- 

  • लोकसभा तथा राज्य विधान मण्डलों में उनके लिए आरक्षित स्थानों की व्यवस्था,
  • सेवाओं में आरक्षण की सुविधाएँ,
  • संवैधानिक संरक्षणों में क्रियान्वयन की जाँच हेतु संसदीय समिति का गठन,
  • राज्यों में कल्याण विभागों की स्थापना, जो कि जातीय कल्याण कार्यों की देख-रेख करते हैं।

 

प्रश्न-75. हिन्दू महिलाओं की किन्हीं चार समस्याओं का उल्लेख कीजिए। 

उत्तर- हिन्दू महिलाओं की चार समस्याएँ निम्नलिखित हैं- 

  • वैवाहिक समस्याएँ, 
  • पारिवारिक समस्याएँ, 
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ, 
  • सामाजिक समस्याएँ। 

 

प्रश्न-76. राजा राममोहन राय ने स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए क्या प्रयास किया?

उत्तर- स्त्रियों की स्थिति सुधारने में राजा राममोहन राय का बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने सती-प्रथा आन्दोलन, विधवा पुनर्विवाह निषेध तथा कुलीन-विवाह के विरुद्ध आवाज उठायी और सफल भी हुए। उनके इन प्रयासों से स्त्रियों की स्थिति में काफी सुधार हुआ।

 

प्रश्न-77. स्त्रियों की दशा सुधारने में एनी बेसेन्ट का योगदान बताइए। 

उत्तर-  एनी बेसेन्ट ने बाल-विवाह तथा विधवा-पुनर्विवाह निषेध के विरुद्ध प्रचार कार्य किया। इसके अतिरिक्त स्त्रियों की ऊँची स्थिति करने के लिए अनेक प्रयत्न किये।

 

प्रश्न-78. स्त्रियों की दशा सुधारने में स्वामी विवेकानन्द के प्रयास बताइए। 

उत्तर- स्वामी विवेकानन्द ने पुरुषों द्वारा स्त्रियों पर होने वाले अत्याचारों का कड़ा विरोध किया। बाल-विवाह तथा विधवा पुनर्विवाह निषेध की प्रथा को समाप्त करने का सक्रिय प्रयास किया। विधवाओं तथा अनाथ स्त्रियों के लिए एक मठ भी खोला।

 

प्रश्न-79. स्त्रियों की दशा सुधारने में दयानन्द सरस्वती ने क्या प्रयास किया?

उत्तर- स्वामी जी ने स्त्री-शिक्षा पर विशेष बल दिया। बाल-विवाह समाप्त करने के लिए प्रयास किये। उन्होंने अन्तर्जातीय विवाहों को प्रोत्साहन दिया, विधवा तथा अनाथ स्त्रियों के लिए अनेक आश्रम स्थापित किये।

 

प्रश्न-80. सरकार द्वारा किये गये दो महिला कल्याण कार्य लिखिए।

उत्तर-

  • निर्धन एवं अभावग्रस्त महिलाओं तक ऋण की सुविधा पहुँचाने हेतु महिलाओं के लिए राष्ट्रीय ऋण कोष की स्थापना की गयी।
  • सन् 1992 में ‘राष्ट्रीय महिला आयोग’ गठित किया गया ताकि महिलाओं पर हो रहे अन्यायों एवं अत्याचारों से लड़ा जा सके।

 

प्रश्न-81. जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है? 

उत्तर- जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में द्वितीय स्थान है।

 

प्रश्न-82. 2011 की जनगणना के आधार पर जनघनत्व क्या है?

उत्तर-  2011 की जनगणना के आधार पर जनघनत्व 382 है।

 

प्रश्न-83. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात क्या है?

उत्तर- 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात 940 है।

 

प्रश्न-84. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में कितने प्रतिशत लोग साक्षर हैं?

उत्तर- 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 74 प्रतिशत लोग साक्षर हैं।

 

प्रश्न-85. भारत में जनसंख्या वृद्धि के दो कारण लिखिए।

उत्तर-

  • गर्म जलवायु-कुछ लोगों ने गर्म जलवायु को भी जनसंख्या वृद्धि का कारण बताया है। गर्म जलवायु के कारण छोटी उम्र में परिपक्वता आ जाती है और प्रजनन अवधि लम्बी हो जाती है। इससे जनसंख्या वृद्धि में सहायता मिलती है।
  • अशिक्षा-अशिक्षा भी जनसंख्या वृद्धि का कारण है क्योंकि इससे लोग परिवार नियोजन के साधन नहीं अपनाते हैं। अशिक्षित लोग अन्धविश्वासों में अधिक विश्वास करते हैं जिसके कारण जनसंख्या वृद्धि होती है।
प्रश्न-86. जनसंख्या वृद्धि के दो परिणाम लिखिए।
अथवा
भारत में जनसंख्या वृद्धि के दो दुष्परिणामों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- 

  • रहन-सहन का निम्न स्तर अधिक जनसंख्या का प्रभाव रहन-सहन के स्तर तथा मानसिकता पर पड़ता है। अधिक जनसंख्या वाले देश व्यक्ति के अच्छे रहन-सहन के स्तर को नहीं बनाये रख सकते।
  • समस्याओं में वृद्धि-अधिक जनसंख्या का अर्थ है अधिक समस्याएँ। किसी भी देश में अधिक जनसंख्या के कारण वहाँ प्रत्येक क्षेत्र में समस्याएँ भी अधिक हो जाती हैं, जैसे-बेकारी, निर्धनता, अल्पसंख्यकों की माँगें, अलग प्रदेशों एवं प्रान्तों की माँगें एवं भाषा-विवाद आदि।

 

प्रश्न-87. भारत में बढ़ती जनसंख्या को रोकने के दो उपाय लिखिए।

उत्तर-

  • परिवार नियोजन-भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रम बहुत व्यापक स्तर पर चलाये जा रहे हैं। अतः इसके प्रति भी जनता में जागरूकता जनसंख्या वृद्धि को रोकने में सहायक हो सकती है।
  • शिक्षा का प्रसार-परिवार नियोजन व परिवार कल्याण को शिक्षा के प्रसार द्वारा और अधिक सफल बनाया जा सकता है। शिक्षित व्यक्ति छोटे परिवारों के महत्त्व को सरलता से समझ जाते हैं।

 

प्रश्न-88. भारतीय समाज में परिवर्तन एवं रूपान्तरण के चार उपागम लिखिए। 

उत्तर- भारतीय समाज में परिवर्तन एवं रूपान्तरण के प्रमुख उपागम निम्न हैं- 

  • संरचनात्मक उपागम, 
  • उद्विकासीय उपागम, 
  • सांस्कृतिक उपागम, 
  • द्वन्द्वात्मक ऐतिहासिक उपागम।

 

प्रश्न-89. द्वन्द्वात्मक ऐतिहासिक उपागम किसने प्रस्तुत किया? 

उत्तर-  कार्ल मार्क्स ने।

प्रश्न-90. भारतीय समाज में रूपान्तरण की किन्हीं चार प्रक्रियाओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- भारतीय समाज में रूपान्तरण की चार प्रक्रियाएँ 

  • नगरीकरण, 
  • औद्योगीकरण, 
  • पश्चिमीकरण,
  • संस्कृतीकरण। 

 

प्रश्न-91. भारतीय समाज के रूपान्तरण में लौकिकीकरण का क्या योगदान है?

उत्तर- भारत में राजनीतिक परिवर्तन लाने में लौकिकीकरण ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। लौकिक दृष्टिकोण वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। भारत में लौकिकीकरण अंग्रेजों की देन है।

 

प्रश्न-92. संरचनात्मक उपागम क्या है?

उत्तर- इस उपागम के अन्तर्गत समाज का संरचनात्मक विश्लेषण करके परिवर्तन तथा। रूपान्तरण का अध्ययन किया जाता है। इस उपागम में भूमिकाओं, प्रस्थितियों, समूहों एवं लोगों की श्रेणियों का विश्लेषण किया जाता है।

 

प्रश्न-93. राष्ट्रीय एकीकरण की अवधारणा क्या है?

उत्तर- राजनीतिक तथा प्रशासनिक दृष्टि से एक सत्ता के अन्तर्गत कई छोटे-छोटे राज्यों के बंध जाने, सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टि में एक ही प्रकार की सांस्कृतिक रीति-रिवाजों का पालन करने, एक भाषा, तीज-त्योहारों आदि के प्रभावित होने तथा मानसिक दृष्टि से सभी लोगों में एकता की भावना उत्पन्न होने के रूप में राष्ट्रीय एकीकरण कहलाता है।

 

प्रश्न-94. भारत में राष्ट्रीय एकीकरण में चार बाधाएँ लिखिए।
अथवा
भारत में राष्ट्रीय एकीकरण की मुख्य चुनौतियों का उल्लेख कीजिए। 

उत्तर-

  • भाषावाद-भाषा की समस्या ने देश के विभिन्न राज्यों में हिंसा, तनाव, घृणा और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न करके राष्ट्रीय एकीकरण के मार्ग में बाधा उत्पन्न की है। 
  • साम्प्रदायिकता-विभिन्न धर्मों के बीच उपस्थित साम्प्रदायिकता की भावना ने राष्ट्रीय एकता को हानि पहुंचायी है।
  • जातीयता-भारतीय समाज में व्याप्त जातिवाद या जातीयता की भावना भी राष्ट्रीय एकीकरण के मार्ग में बाधक हैं।
  • क्षेत्रीयता-क्षेत्रवाद की भावना के फलस्वरूप कई प्रान्तों ने अधिकाधिक स्वायत्तता और अधिकारों की माँगें प्रस्तुत की हैं। इसके कारण राष्ट्रीय सम्प्रभुता और एकता को खतरा उत्पन्न हुआ है। 

 

प्रश्न-95. राष्ट्रीय एकता को सुदढ़ करने के दो उपाय लिखिए। 

उत्तर-

  • विभित्र प्रकार के धार्मिक सामाजिक-सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों को अविलम्ब समाप्त किया जाय तथा इसके लिए स्वस्थ जनमत भी बनाया जाय।
  • सभी राजनैतिक दल क्षेत्रीय, जातीय तथा संकीर्ण भावनाओं का त्याग करें तथा राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च स्थान दें।

 

प्रश्न-96. सरकार द्वारा किये गये एकीकरण से सम्बन्धित दो उपाय लिखिए।

उत्तर-

  • सभी भारतीय स्कूलों में शिक्षण कार्य राष्ट्रीयगान के उपरान्त ही प्रारम्भ किया जाय। 
  • सभी प्रकार के झगड़ों और विवादों का निपटारा शान्तिपूर्ण तरीकों से किया जाय।

 

प्रश्न-97. साम्प्रदायिकता को परिभाषित कीजिए।

उत्तर- “एक साम्प्रदायिक व्यक्ति या व्यक्ति समूह वह है जो कि प्रत्येक धार्मिक अथवा भाषाई समूह को एक ऐसी पृथक् सामाजिक तथा राजनीतिक इकाई मानता है जिसके हित अन्य समूहों से पृथक होते हैं और उनके विरोधी भी हो सकते हैं। ऐसे ही व्यक्तियों अथवा व्यक्ति समूह की विचारधारा को सम्प्रदायवाद या साम्प्रदायिकता कहा जायेगा।”    – विन्सेण्ट स्मिथ

 

प्रश्न-98. साम्प्रदायिकता के चार कारण लिखिए। 

उत्तर- साम्प्रदायिकता के चार प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं- 

  • मुसलमानों को धार्मिक कट्टरता, 
  • आर्थिक व शैक्षणिक पिछड़ापन, 
  • हिन्दुओं में प्रबल हिन्दू राष्ट्र की भावना, 
  • शासन की उदासीनता।

Sociology BA/Bsc/B.com 2nd Semester Important Questions

प्रश्न-99. नक्सलवाद क्या है?

उत्तर- नक्सलवादी आतंकवाद का आशय है, माओत्से तुग के क्रान्तिकारी (हिंसक) वातपंथी दर्शन से प्रेरित आतंकवाद, जो अपना लक्ष्य बताता है- सामाजिक-आर्थिक न्याय पर आधारित व्यवस्था की स्थापना।

 

प्रश्न-100. नक्सलवाद का प्रभाव किन-किन राज्यों में है?

उत्तर- नक्सलवाद का प्रभाव बिहार, बंगाल, आन्ध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में है।

 

प्रश्न -101. संयुक्त परिवार की चार विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- 

  •  धन का समान वितरण संयुक्त परिवार में धन का समान वितरण पाया जाता है। परिवार की सम्पत्ति पर किसी व्यक्ति का व्यक्तिगत स्वामित्व नहीं होता है।
  • खर्च की बचत-संयुक्त परिवार में सम्मिलित आय तथा सम्मिलित खर्च होता है, सम्मिलित आय तथा सम्मिलित खर्च करने के कारण बहुत से बेकार वस्तुओं पर व्यय नहीं होने पाता।
  •  राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहन संयुक्त परिवार त्याग और सहकारिता का पाठ पढ़ाता है। इससे राष्ट्रीय एकता की भावना विकसित होती है।
  • बड़े-बूढ़ों का उपदेश-परिवार के वृद्ध व्यक्ति अपने अनुभव के आधार पर विभिन्न कार्यों को करने का निर्देश देते हैं। इनके इन बहुमूल्य उपदेशों की सहायता से जीवन का समुचित विकास सम्भव होता है।

 

प्रश्न102. भारतीय हिन्दुओं के ब्रह्म विवाह के प्रमुख अनुष्ठानों का उल्लेख करें।

उत्तर- ब्रह्म विवाह उच्च कोटि का विवाह माना जाता है। इस विवाह में होम, पाणिग्रहण एवं सप्तपदी का होना आवश्यक है। 

 

प्रश्न-103. भारत में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के मध्य भेद व्यावहारिक रूप से किस आधार पर किया जाता है?

उत्तर- भारत में बहुसंख्यक एवं अल्पसंख्यक के मध्य भेद जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। 

 

प्रश्न-104. बाहरी संस्कृतियों के प्रभाव के कारण भारतीय जनजातियों में उत्पन्न होने वाली सबसे अधिक समस्याओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- बाहरी संस्कृतियों के प्रभाव के कारण भारतीय जनजातियों में उत्पन्न होने वाली सबसे बड़ी समस्या हैं-पर संस्कृति ग्रहण की, भाषा की एवं धर्म परिवर्तन की।

 

प्रश्न-105. भारतीय कृषि समाज में वर्गों का उल्लेख कीजिए। 

उत्तर- भारतीय कृषि समाज के अन्तर्गत निम्न वर्ग आते हैं-कृषक, खेतिहर मजदूर, श्रमिक वर्ग आदि। 

 

प्रश्न-106. भारतीय मध्यम वर्ग के प्रमुख आर्थिक मानदण्ड क्या है?

उत्तर- भारतीय मध्यम वर्ग के प्रमुख आर्थिक मानदण्ड हैं- कृषि, पशुपालन, हस्त उद्योग आदि। 

 

प्रश्न-107. भारत के अधिकांश गाँवों में सामाजिक संस्तरण में व्यक्ति की प्रस्थिति के निर्धारण के प्रमुख आधार क्या हैं?

उत्तर- भारत के अधिकांश गाँवों में सामाजिक संस्तरण में व्यक्ति की प्रस्थिति के निर्धारण के प्रमुख आधार हैं-जन्म, वर्ग, लिंग, आयु, वैयक्तिक भिन्नताएँ, लक्षण, योग्यता आदि।

 

Leave a Comment