Classification of elements Class 10 notes in Hindi – तत्वों का वर्गीकरण कक्षा 10 नोट्स पीडीएफ 

Classification of elements Class 10 notes in Hindi – तत्वों का वर्गीकरण कक्षा 10 नोट्स पीडीएफ 

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कक्षा 10 तत्वों का वर्गीकरण नामक अध्याय का संपूर्ण अध्ययन करेंगे। इससे पहले हमने ‘रसायनिक अभिक्रिया एवं समीकरण’ और ‘अम्ल एवं लवण, ‘धातु और अधातु’ तथा कार्बन एवं उसके यौगिक नामक 4 अध्याय का संपूर्ण अध्ययन कर लिया है और उनसे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों को भी।

Classification of elements Class 10 notes in Hindi - तत्वों का वर्गीकरण कक्षा 10 नोट्स पीडीएफ 

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का, एक नई पोस्ट में, इस पोस्ट में हम लोग कक्षा-10वी के अध्याय-5 जिसका नाम तत्वों का वर्गीकरण है, को देखने वाले हैं। इस पोस्ट में हम लोग इस अध्याय के सभी महत्वपूर्ण Topics तथा परीक्षा उपयोगी प्रश्नों को भी देखेंगे। जो कि आप नीचे देख सकते हैं-

 

Classification of elements  Class 10 Handwritten Notes in Hindi

 

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तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता (Necessity of Classification of Elements)

प्राचीन काल में बहुत कम तत्वों ज्ञान था तथा इनकी संख्या भी बहुत कम थी। जिसके कारण इनका अध्ययन करना बहुत ही सरल था। लेकिन समय के साथ इनकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ती गई और आज लगभग 118 तत्वों को खोजा जा चुका है। जिनमें से 94 प्राकृतिक तत्व हैं तो वही कुछ कृत्रिम विधियों द्वारा बनाए गए हैं। तत्वों की बढ़ती संख्या के कारण इनका अलग-अलग अध्ययन करना अत्यंत कठिन कार्य हो गया, अतः तत्वों के अध्ययन को सरल बनाने के लिए इनका वर्गीकरण करना आवश्यक हो गया। 

 

तत्वों के वर्गीकरण के प्रारंभिक प्रयास (Early Attempts for the Classification of Elements)

वर्गीकरण का अर्थ है अव्यवस्थित को व्यवस्थित करना।

प्राउड की परिकल्पना (Prout’s Hypothesis)

प्राउट के अनुसार सभी तत्वों के परमाणु द्रव्यमान हाइड्रोजन के परमाणु द्रव्यमान के सरल गुणक है। इससे यह पता चलता है कि सभी तत्व हाइड्रोजन के परमाणुओं से मिलकर बने हैं। 

प्राउट की परिकल्पना के विफलता के कारण

कुछ समय बाद या ज्ञात हुआ कि अनेक तत्वों के परमाणु द्रव्यमान पूर्णांकों से बहुत भिन्न है। अतः प्राउड की परिकल्पना विफल हो गई लेकिन प्राउड के कार्य से पहली बार यह ज्ञात हुआ कि सभी तत्व परमाणु द्रव्यमान द्वारा एक दूसरे से संबंधित हो सकते हैं।

डोबेराइनर का त्रिक सिद्धांत (Doberiner’s Trades)

डोबेराइनर ने तत्वों के वर्गीकरण हेतु रासायनिक गुणों में समानता रखने वाले तत्वों को तीन-तीन की संख्या व्यवस्थित किया। 

डोबेराइनर के अनुसार- यदि समान गुण वाले तीन तत्व को बढ़ते परमाणु भार के क्रम में एक समूह में रखा जाए तो बीच वाले तत्व का परमाणु भार पहले और तीसरे तत्वों के परमाणु भार के औसत के बराबर होता है। 

उदाहरण-

० लिथियम, सोडियम तथा पोटेशियम के रासायनिक गुण एक समान है। 

लिथियम का परमाणु द्रव्यमान = 7

सोडियम का परमाणु द्रव्यमान = 23

पोटेशियम का परमाणु द्रव्यमान = 39

पहले तथा तीसरे परमाणु (लिथियम + पोटैशियम)  का माध्य = (7+39)/2  = 23

० क्लोरीन, ब्रोमीन व आयोडीन के रासायनिक गुण एक समान है।

क्लोरीन का परमाणु द्रव्यमान = 35

ब्रोमीन का परमाणु द्रव्यमान  = 81

आयोडीन का परमाणु द्रव्यमान = 127

पहले तथा तीसरे अर्थात क्लोरीन वह आयोडीन के परमाणु द्रव्यमानो का माध्य = (35+127)/2 = 81

डोबेराइनर के वर्गीकरण की सीमाएं

यह सिद्धांत उस समय तक ज्ञात सभी तत्वों का वर्गीकरण नहीं कर पाया। जिसके कारण या नियम असफल सिद्ध हुआ।

न्यूलैंड का अष्टक नियम (Newland’s Law of Octave)

रसायनज्ञ न्यूलैंड ने तत्वों के वर्गीकरण के संबंध में 1863 ई. में स्पष्ट किया कि तत्वों को उनके परमाणु भारो के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने पर प्रत्येक आठवें तत्व की गुण पहले नंबर पर स्थित तत्वों के गुणों से मिलते हैं जैसे कि संगीत में पाला स्वर आठवे जैसा स्वर होता है। इसे न्यूलैंड का अष्टक नियम कहते हैं।

सा     रे     गा     मा    पा    धा    नी 

1      2     3      4      5     6     7

H     Li    Be     B     C     N   O

F     Na   Mg    Al    Si     P   S 

Cl     K    Ca    Cr    Ti    Mn  Fe

उपरोक्त सारणी में Li से प्रारंभ करके आठवां तत्व Na है। अतः दोनों के गुण समान है। 

न्यूलैंड का अष्टक नियम की सीमाएं 

यह नियम केवल कम परमाणु भार वाले तत्व तक ही सीमित रहता है। अर्थात ऑक्सीजन और सल्फर के गुण आयरन से नहीं मिलते हैं। नाइट्रोजन और फास्फोरस के गुण मैग्नी से नहीं मिलते हैं। अतः यह नियम भी अधिक परमाणु भार वाले तत्वों के वर्गीकरण के लिए सफल नहीं हो सका।

मेंडलीफ का आवर्त नियम 

(Mendeleef’s Periodic Law)

सन् 1869 ई. में सर डी. आई मेंडलीफ ने तत्वों के वर्गीकरण के लिए एक आवर्त नियम का प्रतिपादन किया। इस नियम के अनुसार- तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु भार ओके आवर्ती फलन होते हैं। अर्थात यदि तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु बहारों के क्रम में रखा जाए तो एक निश्चित अंतराल के बाद लगभग समान गुण वाले तत्व पाए जाते हैं। 

मेंडलीफ की आवर्त सारणी

(Mendeleef’s Periodic Table)

मेंडलीफ ने अपने नियमों का आधार पर तत्वों को एक सारणी में इस प्रकार रखा की सारणी में ऊपर से नीचे की ओर समान गुण वाले तत्व व्यवस्थित तथा क्रमिक रूप से परिवर्तित होते हुए गुणों के तत्व सारणी की श्रेणियों में बाएं से दाएं की ओर रखे जाएं। इस सारणी को ही मेंडलीफ की आवर्त सारणी कहते हैं।

  • मेंडलीफ के समय तक केवल 63 तत्व ज्ञात थे।
  • इस और साड़ी में ऊर्ध्वाधर स्तम्भ (समूह) तथा क्षैतिज पंक्तियां (आवर्त) थी।
  • इस आवर्त सारणी में 8 समूह तथा 12 आवर्त थे।
मेंडलीफ की आवर्त सारणी के सामान्य लक्षण 

मेंडलीफ की आवर्त सारणी के सामान्य लक्षण निम्नलिखित है-

  • प्रत्येक आवर्त में तत्व अपने बढ़ते हुए परमाणु भारो के क्रम में व्यवस्थित हैं।
  • एक समूह के सभी तत्वों के गुणधर्म लगभग समान है।
  • प्रत्येक आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर तत्वों की ऋण विद्युत संयोजकता कम होती है तथा धान विद्युत संयोजकता बढ़ती है।
  • तत्वों का परमाणु भार उसका मौलिक गुण माना गया है।
  • आवर्त सारणी में किसी भी तरह के स्थान के अनुसार उनके गुणों को बताया जा सकता है। 
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी की उपयोगिताएं

मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी की उपयोगिताएं निम्नलिखित हैं-

  1. आवर्त सारणी से तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुणों के अध्ययन में सरलता हुई। अर्थात समान गुण वाले तत्वों को एक ही समूह में रखा गया है जिसके कारण यदि समूह की एक तत्व के गुण ज्ञात कर लिया जाए तो उस वर्ग में उपस्थित सभी तत्वों के गुणों का आकलन किया जा सकता है।
  2. मेंडलीफ की आवर्त सारणी के द्वारा कई तत्वों के परमाणु भारो को संशोधित करने में सहायता प्राप्त हुई।
  3. मेंडलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कई रिक्त स्थान छोड़ दिए थे। यह रिक्त स्थान उन तत्वों के थे जिनकी खोज उस समय तक नहीं हुई थी। बाद में वैज्ञानिकों ने इन तत्वों की खोज की तो उन तत्व के गुणधर्म रिक्ता स्थानों के गुण धर्मों से मेल खाते पाए गए। इनके गुण मेंडलीफ द्वारा बताए गए गुरु के समान थे।
मेंड लीफ की मूल आवर्त सारणी के दोष (Defects of Mendeleef’s Original Periodic Table)

मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के दोष निम्नलिखित हैं-

  • इस सारणी में हाइड्रोजन को दो समूहों (प्रथम तथा सप्तम) में रखा गया है जो कि एक दोषपूर्ण है। 
  • इस सारणी में तत्वों को गुणों की समानता के आधार पर एक साथ रखा गया है फिर भी कुछ तत्व ऐसे जिनके गुण-धर्मों में असमानता हैं। लेकिन इन सभी को एक साथ रखा गया है।
  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी में समान गुण वाले तत्वों को भिन्न-भिन्न स्थानों पर रखा गया है। जबकि उन तत्वों को एक साथ एक क्रम में रखना चाहिए।
  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कुछ भारी तत्वों को हल्के तत्वों से पहले रखा गया है।
  • आठवीं समूह को तीन ऊर्ध्वाधर स्तंभों में रखा गया है।

मेंडलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी (Mendeleef’s modern Periodic Table)

मोजल ने प्रयोग द्वारा सिद्ध किया कि तत्वों का मौलिक गुण परमाणु क्रमांक है, परमाणु भार नहीं। अतः मोसले ने 1913 में मेंडलीफ का आवर्त नियम में संशोधन कर आधुनिक आवर्त नियम दिया। इस नियम के अनुसार- तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांको के आवर्ती फलन होते हैं। अर्थात यदि तत्वों कुंड के बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक से 36 पंक्तियों में व्यवस्थित किया जाए तो एक निश्चित अंतराल से समान गुण वाले तत्व को प्राप्त होते हैं। 

मेंडलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी के महत्वपूर्ण लक्षण (Important Characteristics of Mendeleef’s Modern Periodic Table)

मेंडलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी के मुख्य लक्षण निम्नलिखित दिए गए हैं-

  1. आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु क्रमांको के क्रम में 10 क्षैतिज पंक्तियों में रखा गया है जिन्हें श्रेणियां कहते हैं।
  2. तत्वों की 10 श्रेणियां 7 क्षैतिज पंक्तियों तथा नौ ऊर्ध्वाधर स्थानों में व्यवस्थित की गई है। 7 क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त तथा 9 ऊर्ध्वाधर स्तंभों को समूह या वर्ग कहते हैं।
  3. प्रत्येक आवर्त का प्रथम तत्व क्षार धातु तथा अंतिम तत्व अक्रिय गैस है।
  4. आधुनिक आवर्त सारणी में आवर्त ओं में बाई ओर से दाएं और चलने पर गुणों में क्रमिक परिवर्तन होता है तथा आगामी आवर्त से गुणों की आवर्तिता होती रहती है। इस गुण के कारण ही इसे आवर्त सारणी का रूप प्रदान किया गया है।
मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी के आवर्ती की विशेषताएँ (Characteristic of Periods of Mendeleefs Periodic Table)

मेण्डेलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी में 7 क्षैतिज स्तम्भों को आवर्त कहा जाता है। प्रथम तीन आवर्त (I, II, III) लघु आवर्त हैं तथा IV, V, VI, VII दीर्घ आवर्त हैं। आवर्त सारणी के आवर्तों की विशेषताएँ या सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं- 

(i) लघु आवर्त (Short Periods)-आवर्त सारणी के प्रथम आवर्त में मात्र दो तत्व हाइड्रोजन (H) तथा हीलियम (He) हैं। इस आवर्त को अति लघु आवर्त कहते हैं। शेष दूसरे और तीसरे आवर्त में 8-8 तत्व हैं।

(ii) दीर्घ आवर्त (Long Periods) -आवर्त सारणी के अन्तिम चार आवर्त IVth, Vth, VIth तथा VIIth दीर्घ आवर्त कहलाते हैं। इनमें क्रमश: 18, 18, 32 तथा 23 तत्व हैं। प्रत्येक दीर्घ आवतों में तत्वों की दो श्रेणियाँ हैं-सम तथा विषम। इन दोनों श्रेणियों के मध्य में 3 तत्वों को एक ही स्थान पर रखा गया है। इस प्रकार तीनों दीर्घ आवर्ती में सम और विषम श्रेणियों के मध्य 9 तत्वों को व्यवस्थित किया गया है, इन्हें संक्रमण तत्व कहते हैं।

संक्रमण तत्व की विशेषताएं

संक्रमण तत्व निम्नलिखित विशेषताएं प्रकट करते हैं-

  • ये विभिन्न संयोजकता प्रकट करते हैं।
  • ये अनु चुंबकीय तत्व है।
  • ये तत्व उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।
  • ये रंगीन संकरा नो का निर्माण करते हैं।
आवर्ती में तत्वों के गुणों में आवर्तिता

आवर्त सारणी के प्रतीक आवर्त में बाएं ओर से दाएं ओर चलने पर तत्वों के गुणों में क्रमिक परिवर्तन पाया जाता है जिसे आवर्तिता कहते हैं। आवर्तिता का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है-

  1. संयोजकता में क्रमिक परिवर्तन

और साड़ी के लघु औरतों में बाई ओर से दाएं और चलने पर तत्वों की संयोजकता हाइड्रोजन के प्रति पहले 1 से 4 तक बढती है पुनः 4 से 1 तक घटती है तथा ऑक्सीजन के प्रति 1 से 7 तक बढ़ती है।

  1. धन विद्युत एवं ऋण विद्युत गुणों में परिवर्तन

लघु आवर्तों में बाई ओर से दाएं ओर चलने पर या कम परमाणु क्रमांक ओर से अधिक परमाणु क्रमांक की ओर चलने पर तत्वों की विद्युत धनात्मकता में कमी तथा विद्युत ऋणात्मकता में वृद्धि होती है।

  1. आयनन विभव में परिवर्तन

किसी भी आवर्त में बाएं से दाएं की ओर चलने पर तत्वों के आयनन विभव में वृद्धि होती है।

  1. परमाणु त्रिज्या में परिवर्तन

प्रत्येक आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर अर्थात पहले वर्ग से सातवें वर्ग की ओर चलने पर तत्वों की परमाणु त्रिज्या कम होती जाती है।

  1. धात्विक गुणों में परिवर्तन

प्रत्येक आवर्त में बाएं ओर से दाएं ओर चलने पर तत्वों की धात्विकता में कमी होती है तथा अधात्विकता में वृद्धि होती है।

मेंडलीफ की आवर्त सारणी के वर्गों की विशेषताएँ

मेण्डलीफ की आवर्त सारणी के वर्गों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

(1) आवर्त सारणी में 0 से VIII तक 9 वर्ग हैं

(2) प्रत्येक वर्ग की संख्या उसमें स्थित तत्वों की संयोजकता को प्रकट करती है; जैसे-0 वर्ग की संयोजकता 0 (शून्य) है। Ist वर्ग के तत्वों की संयोजकता 1 है IIIrd वर्ग के तत्वों की संयोजकता 3 है।

(3) एक ही वर्ग के तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण समान होते हैं। इसमें कुछ अपवाद भी हो सकते हैं। 

(4) शून्य समूह तथा VIII समूह को छोड़कर सभी वर्ग, उपवर्गों में विभाजित हैं। इनको उपवर्ग ‘A’ तथा उपवर्ग ‘B’ लिखा गया है। इनमें उपवर्ग A को बायीं ओर तथा उपवर्ग ‘B’ को दायीं ओर लिखा गया है। उपवर्ग में स्थित तत्वों के गुणों में समानता पायी जाती है तथा एक ही वर्ग के उपवर्गों के तत्व गुणों में भिन्न-भिन्न होते हैं; जैसे- IA वर्ग के तत्व, Li, Na, K, Rb, Cs तथा Fr हैं तथा IB में Cu, Ag, Au हैं, अत: IA के तत्व क्षारीय मृदा धातुएँ हैं, जबकि IB के तत्व मुद्रा धातुएँ हैं।

(5) एक ही वर्ग में परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ तत्वों के गुणों में क्रमिक परिवर्तन होते हैं जो निम्न प्रकार हैं-

(6) धन विद्युती या धात्विक लक्षणों में परिवर्तन- वर्गों में परमाणु क्रमांक वृद्धि के साथ या ऊपर से नीचे चलने पर धन विद्युती लक्षणों में वृद्धि होती है।

(7) परमाणु त्रिज्या में परिवर्तन- वर्गों में ऊपर से नीचे की ओर चलने पर परमाणु त्रिज्या में वृद्धि होती है।

(8) आयनन विभव-आवर्त सारणी के वर्गों में ऊपर से नीचे की ओर चलने पर आयनन विभव घटता है। वर्ग में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ परमाणु आकार बढ़ता जाता है, फलस्वरूप बाह्यतम इलेक्ट्रॉन पर नाभिकीय आकर्षण कम होता जाता है जिससे तत्वों का आयनन विभव कम होता जाता है।

वर्ग IA- Li> Na > K > Rb > Cs

(9) इलेक्ट्रॉन बन्धुता में परिवर्तन-वर्ग में ऊपर से नीचे चलने पर परमाणु के आकार में वृद्धि होती जाती है जिससे ग्रहण किए जाने वाले इलेक्ट्रॉन पर नाभिकीय आकर्षण कम होता जाता है फलस्वरूप इलेक्ट्रॉन बन्धुता कम होती जाती है।

 

क्रमांक गुण आवर्तो में बाएं से दाएं की ओर परमाणु क्रमांक को में वृद्धि के साथ वर्गों में ऊपर से नीचे की ओर परमाणु क्रमांक को में वृद्धि के साथ
1 आयनन विभव बढ़ता जाता है घटता जाता है
2 परमाणु त्रिज्या घटती जाता है बढ़ती जाता है
3 धात्विक गुण घटता जाता है बढ़ता जाता है
4 विद्युत ऋणात्मकता  बढ़ती जाता है घटती जाता है
5 विद्युत धनात्मकता घटती जाता है बढ़ती जाता है
6 इलेक्ट्रॉन बंधुता बढ़ती जाता है घटती जाता है
7 ऑक्सीकारक गुण बढ़ता जाता है घटता जाता है
8 अपचायक गुण घटता जाता है बढ़ता जाता है
9 संयोजकता बढ़ती है समान रहती है
10 घनत्व बढ़ता है मध्य तक बढ़ता है।

 

मेण्डेलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी द्वारा मूल आवर्त सारणी की विसंगतियों का निराकरण (Elimination of Anomalous behaviour of Original Periodic Table from Modern Periodic Table of Mendeleef)

आधुनिक आवर्त नियम के आधार पर मेण्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी में पायी जाने वाली अनेक विसंगतियाँ दूर हो गईं। इनका विवरण निम्नवत् है-

(1) दुर्लभ मृदा तत्वों का स्थान (Position of Rare Earth Elements) – सभी मृदा तत्वों को एक ही स्थान पर रखा गया है; क्योंकि इन सभी तत्वों के गुणों में समानताएँ पायी जाती हैं।

(2) समस्थानिकों का स्थान (Position of Isotopes ) – एक ही तत्व के सभी समस्थानिकों का परमाणु क्रमांक समान होता है, अत: इन्हें एक ही स्थान पर रखा जाना उचित है।

(3) भारी तत्वों को हल्के तत्वों से पहले रखना (Lighter elements kept before heavier elements) – परमाणु भार के आधार पर जो भारी तत्व हल्के तत्व से पहले आते हैं, उनका स्थान परमाणु क्रमांक के आधार पर उचित स्थान है; जैसे – आर्गन (Ar) का परमाणु भार 39.84 तथा परमाणु क्रमांक 18 है, अतः इसे पोटैशियम (K) परमाणु भार 39.1 तथा परमाणु क्रमांक 19 से पहले रखना न्याय संगत है।

(4) असमान तत्वों को एक ही समूह में रखना (Dissimilar elements placed together) – मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी में I-A के तत्वों (क्षार धातुएँ) तथा I-B के तत्वों (सिक्का धातुएँ) को एक ही समूह में रखा गया है, जबकि इनके गुणों में भिन्नता पायी जाती है। आधुनिक आवर्त सारणी में I-A के तत्व और I-B के तत्व पृथक्-पृथक् माने गए हैं तथा इन्हें परस्पर दूर रखा गया है।

(5) अक्रिय गैसों के लिए स्थान (Position of Inert gases) – मेण्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों के लिए कोई उपयुक्त स्थान नहीं था। आधुनिक आवर्त सारणी में परमाणु क्रमांक के बढ़ते क्रम में इन तत्वों के लिए उपयुक्त स्थान मिल जाता है जो शून्य समूह है।

मेण्डेलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी के दोष (Defects of Mendeleef’s Modern Periodic Table)

मेण्डेलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों के वर्गीकरण का आधार परमाणु क्रमांक माना गया है। इससे यह सारणी, मूल आवर्त सारणी की तुलना में, लगभग दोषमुक्त हो गई है, परन्तु इसमें कुछ दोष अब भी रह जाते हैं। इन दोषों का वर्णन निम्नलिखित है

(1) हाइड्रोजन को दो समूहों में रखा जाना-हाइड्रोजन को प्रथम समूह में रखा गया है। हाइड्रोजन क्लोरीन से संयोग करके हाइड्रोजन क्लोराइड गैस बनाती है। यहाँ यह क्षार धातु के समान व्यवहार प्रदर्शित करती हैं। इसके अतिरिक्त हाइड्रोजन, कैल्शियम तथा सोडियम धातुओं से अभिक्रिया करके इनके हाइड्राइड बनाती है, अतः यह क्लोरीन, ब्रोमीन आदि। के समान अम्लीय व्यवहार व्यक्त करती है। इसलिए इसे सातवें समूह में भी रखा गया है। इस प्रकार आधुनिक आवर्त सारणी में भी हाइड्रोजन की स्थिति स्पष्ट नहीं है।
(2) असमान गुणों वाले तत्वों को एक ही समूह में रखना – समूह I-A की क्षार धातुओं तथा I-B की मुद्रा धातुओं के भौतिक तथा रासायनिक गुण भिन्न-भिन्न हैं, परन्तु इन्हें एक ही स्थान पर रखा गया है।
(3) समान गुणों वाले तत्वों को भिन्न-भिन्न समूहों में रखना – आधुनिक आवर्त सारणी में कुछ समान गुणों वाले तत्वों को भिन्न-भिन्न समूहों में रखा गया है। उदाहरणार्थ- कॉपर (Cu), मर्करी (Hg) तथा प्लेटिनम (Pt) के गुणों में बहुत अधिक समानता है, परन्तु इन्हें भिन्न-भिन्न समूहों में रखा गया है।
(4) लैन्थेनाइड तथा ऐक्टिनाइड श्रेणी के तत्वों को आवर्त सारणी के भीतर स्थान प्राप्त न होना-लैन्थेनाइड श्रेणी के 14 तत्वों (परमाणु क्रमांक 58 से 71) तथा ऐक्टिनाइड श्रेणी के 14 तत्वों (परमाणु क्रमांक 90 से 103) को आवर्त सारणी के नीचे अलग स्थान दिया गया है। यह भी आधुनिक आवर्त सारणी का एक दोष है।
(5) धातुओं तथा अधातुओं की स्थिति – आधुनिक आवर्त सारणी में धातुओं तथा अधातुओं को अलग-अलग स्थान नहीं दिया गया है।

(6) समूह VIII को तीन स्तम्भों में रखना-मूल आवर्त सारणी की भाँति ही आधुनिक आवर्त सारणी में भी समूह VIII को तीन स्तम्भों में रखा गया है, जबकि इनके परमाणु क्रमांक भिन्न-भिन्न हैं तथा रासायनिक गुण समान हैं। इस प्रकार इन तत्वों को आवर्त सारणी में उचित स्थान पर स्थित नहीं किया गया है।

तत्वों की आधुनिक आवर्त सारणी (Modern form of Periodic Table of Elements)

तत्वों के परमाणु क्रमांक तथा इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होने के कारण ज्ञात हुआ है कि तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तथा उनके गुणों में घनिष्ठ सम्बन्ध है। जिन तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास मिलते-जुलते हैं। उनके गुणों में समानता देखी जाती है। अतः इससे यह ज्ञात होता है कि “तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आवर्ती फलन हैं।” रांग (Rang), वर्नर (Werner), बरी (Bury) और अन्य कई रसायनज्ञों ने इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों को तत्वों के वर्गीकरण का आधार मानकर एक आवर्त सारणी का निर्माण किया जिसे दीर्घाकार या प्रवर्धित आवर्त सारणी कहते हैं। इस सारणी को बोर की आवर्त सारणी भी कहते हैं, क्योंकि इसकी रचना बोर द्वारा प्रस्तुत परमाणु मॉडल में इलेक्ट्रॉनों के वितरण की व्यवस्था के आधार पर की गई है।

आधुनिक आवर्त सारणी के लक्षण या विशेषताएँ

 इस आवर्त सारणी की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) आधुनिक आवर्त सारणी में मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी की भाँति ही क्षैतिज पंक्तियों की संख्या 7 है, जिन्हें आवर्त कहते हैं (अर्थात् आवर्तों की कुल संख्या 7 है) जबकि ऊर्ध्वाधर स्तम्भों की कुल संख्या 18 है जिन्हें वर्ग या समूह कहते हैं, अर्थात् इनमें वर्गों की कुल संख्या 18 है। इस आवर्त सारणी में बायीं ओर से दायीं ओर चलने पर उपर्युक्त वर्गों को निम्नलिखित रूप में व्यवस्थित किया गया है-

I-A, II-A, III-B, IV-B, V-B, VI-B, VII-B, VIII, VIII, VIII, I-B, II-B, III-A, IV-A, V-A, VI-A, VII-A तथा शून्य ।

IUPAC पद्धति के अनुसार आजकल ये वर्ग क्रमश: 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17 व 18 तक वर्गों के रूप में भी व्यक्त किए जाते हैं।

इन वर्गों को आजकल क्रमश: 1 से 18 वर्गों के रूप में भी व्यक्त किया जाता है। इनमें VIII वर्ग में तीन ऊर्ध्वाधर स्तम्भ हैं, अर्थात् VIII वर्ग तीन ऊर्ध्वाधर स्तम्भों में रखा गया है। 

(2) इस सारणी के आवर्ती में पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे, पाँचवें तथा छठे आवतों में क्रमशः तत्वों की संख्याएँ 2, 8,8,18 तथा 32 हैं, इनको मैजिक संख्याएँ कहते हैं, जबकि सातवाँ आवर्त अपूर्ण है। 

(3) इस सारणी में छठे आवर्त के 14 तत्वों, परमाणु क्रमांक 58 से 71 तक को और सातवें आवर्त के 14 तत्वों, क्रमांक 90 से 103 तक को दो श्रेणियों में क्रमशः लैन्थेनाइड तथा ऐक्टिनाइड के रूप में सारणी के नीचे रखा गया है। 

(4) प्रत्येक आवर्त का प्रथम तत्व क्षार धातु तथा अन्तिम तत्व अक्रिय गैस है; जैसे- तृतीय आवर्त का पहला तत्व Li परमाणु (क्षार धातु) तथा अन्तिम तत्व Ne (अक्रिय गैस) है। 

(5) इस सारणी में तत्वों को परमाणु क्रमांक के वृद्धि क्रम में उस समय तक श्रेणीबद्ध किया गया है, जब तक कि समान गुण वाला तत्व पुनः नहीं आ गया है।

(6) इस सारणी में प्रत्येक आवर्त में एक नई प्रधान क्वान्टम संख्या के साथ बाह्यतम कक्ष में इलेक्ट्रॉन भरना शुरू होता है और बाह्यतम कक्ष के पूर्ण होने के साथ आवर्त समाप्त हो जाता है। किसी आवर्त की क्रम संख्या उस आवर्त के तत्वों की बाह्यतम कक्ष की प्रधान क्वान्टम संख्या होती है।

(7) इस सारणी में शून्य वर्ग के तत्वों को अक्रिय गैस कहते हैं; क्योंकि इनकी सभी उपकक्षाएँ पूर्ण होती हैं। (8) इस सारणी में वर्ग-1 (H को छोड़कर) के तत्वों को क्षारीय धातु तथा वर्ग-2 के तत्वों को क्षारीय मृदा धातुएँ कहते हैं।

(9) इस सारणी में वर्गों 3, 4, 5, 6 तथा 7 के तत्वों को सामान्य तत्व कहते हैं, जिनमें धातु, अधातु एवं उपधातु हैं। 

(10) इस सारणी में वर्गों 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 तथा 12 के तत्वों को संक्रमण तत्व कहते हैं क्योंकि इन तत्वों को क्षार धातुओं तथा सामान्य तत्वों के बीच में रखा गया है। 

(11) इस सारणी में उपस्थित किसी उपवर्ग या वर्ग के सभी तत्वों की बाह्यतम कक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्याएँ समान होने के कारण उनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास एकसमान होता है जिसके कारण उनके गुणों में समानताएँ होती हैं। किसी भी उपवर्ग या वर्ग में ऊपर से नीचे की ओर चलने पर तत्वों के परमाणु क्रमांकों की वृद्धि के साथ, उपकक्षों की संख्या में भी वृद्धि होती है जिसके कारण उन तत्वों के गुणों में भी क्रमिक परिवर्तन होता है।

दीर्घाकार या प्रवर्धित आवर्त सारणी के गुण (Properties of Long or Extended Form of Periodic Table)

दीर्घाकार या प्रवर्धित आवर्त सारणी मेण्डलीफ की मूल आवर्त सारणी या उसके आधुनिक रूप से काफी अच्छी है; क्योंकि इससे मेण्डेलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी के दोष दूर हो जाते हैं। इसके गुण निम्नलिखित हैं- 

(1) इस सारणी में तत्वों को उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर रखा गया है जिसके कारण बायीं ओर से दायीं ओर चलने पर प्रत्येक आवर्त के तत्वों में क्रमशः एक-एक इलेक्ट्रॉन बढ़ता है।

(2) इस सारणी में इलेक्ट्रॉन विन्यास की सहायता से तत्वों की स्थिति (वर्ग एवं आवर्त दोनों में) तथा उनके गुणों को ज्ञात किया जा सकता है। (3) इस सारणी में तत्वों को उनके गुणों की समानता के आधार पर प्रत्येक वर्ग के उपवर्ग A तथा B में अलग-अलग रखा गया है।

(4) इस सारणी में तत्वों के समस्थानिकों के स्थान की कोई समस्या नहीं है। (5) इस सारणी में क्षार धातुओं को अन्य तत्वों से अलग एक साथ रखा गया है।

(6) इस सारणी में संक्रमण तत्वों (transitional elements) को अन्य सामान्य तत्वों से अलग एक साथ रखा गया है।

(7) इस सारणी में परमाणु क्रमांकों के आधार पर तत्वों को ठीक स्थान पर रखा गया है। (8) इस सारणी में लैन्थेनाइड तथा ऐक्टिनायड तत्वों को आवर्त सारणी में नीचे स्थान दिया गया है।

(9) इस आवर्त सारणी में अधिक धात्विक तत्वों को बायाँ और अधिक अधात्विक तत्वों को दायीं ओर रखा गया है। इस सारणी में धातु तथा अधातुओं का स्पष्ट विभाजन किया गया है।

 

 

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