Metals and Non metals class 10 pdf notes in Hindi – धातु और अधातु कक्षा 10 नोट्स
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इस आर्टिकल के अंतर्गत, कक्षा 10 धातु और अधातु नामक अध्याय का संपूर्ण अध्ययन करेंगे। इससे पहले हमने ‘रसायनिक अभिक्रिया एवं समीकरण’ और ‘अम्ल एवं लवण’ नामक 2 अध्याय का संपूर्ण अध्ययन कर लिया है और उनसे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों को भी।
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का, एक नई पोस्ट में, इस पोस्ट में हम लोग कक्षा-10वी के अध्याय-3 जिसका नाम धातु और अधातु है, को देखने वाले हैं। इस पोस्ट में हम लोग इस अध्याय के सभी महत्वपूर्ण Topics तथा परीक्षा उपयोगी प्रश्नों को भी देखेंगे। जो कि आप नीचे देख सकते हैं-
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द्रव्य के अध्ययन की श्रृंखला में वैज्ञानिको ने लगभग 115 तत्वों को ज्ञात कर लिया है। इन सभी तत्वों की गुणों में समानता एवं असमानताएं पाई जाती है। गुरु की समानता एवं और समानता के आधार पर तत्वों को 3 वर्गों में विभाजित किया गया है- धातु (Metal), अधातु (Non-Metals) तथा उपधातु (Metalloids)।
इस अध्याय के अंतर्गत इन तीन टॉपिक्स के बारे में अच्छे से हम अध्ययन करेंगे।
धातुओ का सामान्य परिचय (General Introduction of Metals) :
धातु स ठोस अवस्था में पाई जाती हैं। केवल पारा ही ऐसी धातु है जो द्रव अवस्था में पाई जाती है। धातुएं विद्युत एवं ऊष्मा के सुचालक होती है।
धातु की परिभाषा (Definition of Metal)
- वह तत्व जो विद्युत और ऊष्मा के सुचालक होते हैं जिनमें आघातवर्धनीयता तथा तन्यता के गुण पाए जाते हैं तथा एक विशेष धात्विक चमक होती है, धातु कहलाती है। जैसे- लोहा, चांदी, सोना आदि।
धातुओ के भौतिक गुण (Physical Properties of Metals)
धातु के भौतिक गुण निम्नलिखित हैं-
- धातु की सतह पर एक विशेष प्रकार की चमक पाई जाती है जिसे धात्विक चमक कहते हैं जैसे- सोने में पीले रंग की।
- समान्य ताप पर अधिकतर धातुएं कठोर होती है। अपवाद स्वरूप सोडियम तथा पोटेशियम धातु को चाकू से काटा जा सकता है। जैसे- लोहा, एलुमिनियम, कापर आदि अत्यधिक कठोर होती है।
- धातुओ में आघातवर्धनीयता का गुण पाया जाता है। अर्थात धातु की सतह पर हथौड़े से चोट की जाती है तो वह बीना टूटे धातु की पतली चादर में परिवर्तित हो जाती है। जैसे- सोना, चांदी धातु सबसे अधिक आघातवर्धनीय होती है।
- धातुएं खींचे जाने पर पतले तारों के रूप में परिवर्तित हो जाती है। धातु का यह गुण तन्यता कहलाता है। जैसे- चांदी, सोना, एलुमिनियम आदि।
- धातुएं ऊष्मा की सुचालक होती हैं।
- धातु ऊष्मा की भांति विद्युत धारा का अभी चालक होती है।
- सभी धातुओं के गलनांक और क्वथनांक कुछ होते हैं।
- सामान्यतः सभी धातुएं भारी होती है अर्थात इनका घनत्व अधिक होता है।
रासायनिक दृष्टि से धातु की परिभाषा
- धातुएं वे तत्व है जो इलेक्ट्रॉन का त्याग कर धनायन का निर्माण करती हैं। जैसे- एलुमिनियम एक धातु है जो 3 इलेक्ट्रॉनों का त्याग कर Al⁺⁺⁺का निर्माण करती है।
धातुओ के रासायनिक गुण (Chemical Properties of Metals)
धातु के सामान्य रसायनिक गुण निम्नलिखित हैं-
- विद्युत धनात्मकता :
धातु आसानी से लेक्टेंसिया कर धनायनो का निर्माण करती है। अतः यह विद्युत धनात्मक तत्व होते हैं-
Na → Na⁺ + e⁻
- धातुओ की ऑक्सीजन से अभिक्रिया :
धातुएं ऑक्सीजन से अभिक्रिया का धातु ऑक्साइड का निर्माण करती है।
4Na + O₂ → 2Na₂O
- धातुओ की जल से अभिक्रिया :
धातुओ की क्रियाशीलता के अनुसार धातुएं जल से भिन्न भिन्न प्रकार से क्रिया करती हैं। धातु जल के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस तथा धातु ऑक्साइड अथवा धातु हाइड्रॉक्साइड निर्मित करती है।
ठंडे जल से अभिक्रिया
2K + H₂O → 2KOH + H₂
गर्म जल से अभिक्रिया
Mg + 2H₂O → Mg(OH)₂ + H₂
भाप के साथ अभिक्रिया
2Al + 3H₂O → Al₂O₃ + 3H₂
- धातुओ की हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया :
धातु हाइड्रोजन के साथ कोई अभिक्रिया नहीं करती है कुछ क्षार और क्षारीय मृदा धातु हाइड्रोजन से क्रिया कर हाइड्राइड का निर्माण करती है। जैसे- Na, K, Ca
2Na + 2HCl → 2NaCl + H₂
- धातुओ की क्लोरीन से अभिक्रिया :
धातुएं क्लोरीन से अभिक्रिया कर धातु क्लोराइड का निर्माण करती है।
Zn + Cl₂ → ZnCl₂
अधातुओं का सामान्य परिचय (General Introduction of Non-Metals)
धातु के विपरीत गुण पाए जाने वाले तत्व को अधातु कहा जाता है। अधातु है उसमें एवं विद्युत की कुचालक होती है। इनमें धात्विक चमक नहीं होता है।
अधातु की परिभाषा (Definition of Non-Metals)
- वह तत्व जो ऊष्मा तथा विद्युत का चालन नहीं करते, अधातु कहलाते हैं। जैसे- कार्बन, नाइट्रोजन, सल्फर आदि।
- ज्ञात तत्वों में अधातु की संख्या केवल 22 है। जिसमें 6 अक्रिय गैसे भी सम्मिलित हैं।
अधातुओ के भौतिक गुण (Physical Properties of Non-Metals)
अधातुओ के भौतिक गुण निम्नलिखित हैं-
- साधारण तापक्रम पर सारी अधातुएं या तो ठोस होते या गैस। परंतु अपवाद स्वरूप ब्रोमीन अधातु होते हुए भी सामान्य ताप पर द्रव अवस्था में पाई जाती है।
- सामान्यत: धातुओं के गलनांक बहुत कम होते हैं। परंतु अपवाद स्वरूप कार्बन और सिलिकॉन ऐसी अधातु हैं जिनका क्वथनांक तथा गलनांक उच्च होते हैं।
- सामान्यतः अधातुओ में चमक नहीं पाई जाती। अपवाद स्वरूप अधातु होते हुए भी आयोडीन चमकीला होता है।
- सामान्य अधातु कठोर नहीं होती है परंतु अपवाद स्वरूप हीरा सबसे अधिक कठोर प्राकृतिक पदार्थ है।
- अधातु विद्युत तथा ऊष्मा की कुचालक होती है परंतु अपवाद स्वरूप ग्रेफाइट जोकि कार्बन का एक अपरूप है, विद्युत का सुचालक होता है।
- अधातुएं धातु की तरह दृढ़ नहीं होती है। यह बाहर रखने पर आसानी से टूट जाती है।
- अधातुएं ठोस, द्रव तथा गैस तीनों अवस्थाओं में पाई जाती है।
- अधातुओ के घनत्व धातुओं से कम होती है।
- अधातुएं अन्य वस्तुओं से टकराने पर ध्वनि उत्पन्न नहीं करती है।
- अधातुएं अघातवर्धनीय व तन्य नहीं होती है परंतु भंगुर होती है।
रासायनिक दृष्टि से अधातु की परिभाषा
- वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायध बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं, अधातु कहलाते हैं। यह विद्युत ऋणात्मक होती है। जैसे- कार्बन, नाइट्रोजन, सल्फर आदि।
अधातुओ के रासायनिक गुण (Chemical Properties of Non-Metals)
अधातुओ के रासायनिक गुण निम्नलिखित है –
- ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति :
अधातुएं इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करके ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति रखती हैं।
O + 2e⁻ → O²⁻
- अधातुओ की ऑक्सीजन से अभिक्रिया :
अधातु ऑक्सीजन से क्रिया करके ऑक्साइड बनाती हैं।
C + O₂ → CO₂
- अधातुओ की अम्लो से अभिक्रिया :
अधातु तनु अम्ल से हाइड्रोजन विस्थापित नहीं करती है। तनु अम्ल से अधातु द्वारा हाइड्रोजन तभी विस्थापित हो सकती है जब अभिक्रिया द्वारा उत्पन्न प्रोटॉन को इलेक्ट्रॉन की पूर्ति की जाए।
H₂SO₄ → H⁺ + SO₄²⁻
- अधातुओ की क्लोरीन से अभिक्रिया :
अधातुएं क्लोरीन से क्रिया करके क्लोराइड बनाती है।
H₂ + Cl₂ → 2HCl
- अधातुओ की हाइड्रोजन से अभिक्रिया :
अधातुएं हाइड्रोजन के साथ विशेष अवस्थाओं में क्रिया करके हाइड्राइड बनाती है।
N₂ + 3H₂ → 2NH₃
सक्रियता श्रेणी (Activity Series)
सक्रियता श्रेणी व सूची है जिसमें धातु की क्रियाशीलता को और रोहित क्रम में व्यवस्थित किया गया है।
- K – पोटेशियम
- Na – सोडियम
- Ca – कैल्शियम
- Mg – मैग्नीशियम
- Al – एलुमिनियम
- Zn – जिंक
- Fe – आयरन
- Pb – लेड
- H – हाइड्रोजन
- Cu – कॉपर
- Hg – मरकरी
- Ag – सिल्वर
- Au – गोल्ड
० इस श्रेणी में ऊपर से नीचे की ओर चलने पर धातु की अभिक्रिया शीलता क्रमश: घटती जाती है।
० नीचे से ऊपर की ओर चलने पर धातु की अभिक्रिया शीलता क्रमश: बढ़ती है।
० श्रेणी में सबसे ऊपर स्थित धातु सबसे अधिक अभिक्रियाशील तथा सबसे अंतिम धातु सबसे कम अभिक्रियाशील होती हैं।
सक्रियता श्रेणी के प्रमुख उपयोग (Major Uses of Activity Series)
सक्रियता श्रेणी की निम्नलिखित उपयोग है-
- सक्रियता श्रेणी में जो धातु हाइड्रोजन से उपस्थित होती है वह तनु अम्ल से हाइड्रोजन को विस्थापित कर सकती है।
- सक्रियता श्रेणी में जो धातु अन्य धातु से उपर स्थित होती है उन्हें उनके लवण विलयन से विस्थापित कर देती है, क्योंकि श्रेणी में उपस्थित हुए नीचे स्थित धातु से अधिक क्रियाशील होती है।
- विभिन्न धातुओं की सक्रियता की तुलना करने में।
विद्युत संयोजक या आयनिक यौगिक (Electrovalent or Ionic Compounds)
वे योगिक, जिनमें आयनिक बंध पाया जाता है विद्युत संयोजक या आयनिक यौगिक कहलाते हैं। जैसे- MgCl₂, KCl आदि।
विद्युत संयोजक यौगिकों की विशेषताएं (Characteristics of Electrovalent or Ionic Compounds)
विद्युत संयोजक या आयनिक यौगिक की विशेषताएं निम्नलिखित हैं –
- धन और ऋण के बीच मजबूत स्थिर विद्युत आकर्षण बल होने से आयनिक यौगिक ठोस एवं थोड़े कठोर होते हैं। यह योगिक सामान्यतया भंगूर होते हैं तथा दाब डालने पर टूट जाते हैं।
- आयनिक यौगिकों में विपरीत प्रकृति के विद्युत आयन मजबूत अंतर आयनिक आकर्षण बल से जुड़े रहते हैं। इस आकर्षण बल को तोड़ने के लिए ऊर्जा की पर्याप्त मात्रा की आवश्यकता होती है। अर्थात योगी को कुछ तापमान तक गर्म करने की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए आयनिक बलो के गलनांक और क्वथनांक सामान्यतया बहुत अधिक होता है। अतः आयनिक यौगिक का गलनांक और क्वथनांक होता है।
- आयनिक यौगिक सामान्यतः जल में घुलनशील होते हैं क्योंकि जल में इनके आयनों के बीच का आकर्षण बल कम हो जाता है।
- आयनिक यौगिक जब ठोस अवस्था में रहते हैं तो विद्युत चालक नहीं होते हैं क्योंकि यह प्रबल स्थिर विद्युत बलों द्वारा बने रहते हैं। अतः इन में विद्युत का चालन करने के लिए मुफ्त आयन प्राप्त नहीं हो पाते। जबकि गलित अवस्था में या जलीय विलयन में आयनिक यौगिक के आयन मुक्त हो जाते हैं जिसके कारण यह जलीय विलयन में विद्युत के चालक हो जाते हैं।
प्रकृति में तत्वों की उपस्थिति (Occurrence of Elements in Nature)
प्रकृति में तत्व दो रूपों में पाए जाते हैं-
- स्वतंत्र अथवा मुक्त रूप में
वे ठोस धातुएं, जो कम क्रियाशील होती हैं प्रकृति में मुफ्त अथवा स्वतंत्र अवस्था में पाई जाती हैं। जैसे- Ag, Au, Pt आदि।
- संयुक्त रूप में
वे ठोस धातुएं, जो क्रियाशील होती हैं प्रकृति में संयुक्त अवस्था में अर्थात अपनी यौगिकों के रूप में पाई जाती हैं। जैसे- Na, Ca, Fe, Zn आदि।
खनिज (Minerals)
धातुएं पृथ्वी के अंदर उनके यौगिकों के रूप में पाई जाती है, उन्हें खनिज कहते हैं। इनमें बालू, रेत, मिट्टी तथा अन्य अशुद्धिया पाई जाती है। इन्हें गैंग या मैट्रिक्स कहते हैं।
खनिज की परिभाषा
- धातु एवं उसके यौगिक पृथ्वी के अंदर में जिस रूप में मिले हुए पाए जाते हैं, उन्हें खनिज कहते हैं।
जैसे- कॉपर पायराइट (CuFeS₂)
अयस्क (Ores)
वे खनिज जिनसे धातु पर्याप्त मात्रा में सुगमता से तथा शुद्ध रूप में प्राप्त की जाती है, अयस्क कहते हैं।
जैसे- कॉपर का अयस्क कॉपर पायराइट, एलुमिनियम का बॉक्साइट है।
नोट : सभी अयस्क खनिज होते हैं, परंतु सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं।
धातुओ का निष्कर्षण (Extraction of Metals)
धातुओ का उसके अयस्को से निष्कर्षण की कई सारी विधियां उपलब्ध है जिनमें से कुछ विधि निम्नलिखित दी गई है –
- सिनेबार
सिनेबार मरकरी का एक आयास्क है। जब इसे वायु में गर्म किया जाता है, तो यह सबसे पहले मरक्यूरिक ऑक्साइड में बदलता है तथा बाद में मरकरी धातु में परिवर्तित हो जाता है।
- कॉपर ग्लांस
इससे कॉपर धातु की प्राप्ति की जाती है। जब कॉपर ग्लांस स को वायु में गर्म करते हैं, तो आंशिक रूप से आक्सीकृत होता है तथा आक्सीकृत उत्पाद से शेष कापर ग्लांस से क्रिया करके कॉपर धातु देते हैं।
नोट : इन दोनों का प्रयोग सक्रियता श्रेणी में नीचे आने वाले धातुओं का निष्कर्षण करने में किया जाता है।
- भर्जन (Roasting)
सांद्रित अयस्क को अकेले या अन्य पदार्थों के साथ मिलाकर अधिक वायु को नियंत्रित मात्रा की उपस्थिति में अधिक ताप पर बिना पिघलाये गर्म करने की क्रिया को भर्जन कहते हैं।
- निस्तापन (Calculation)
निस्तापन की क्रिया में सांद्रिता अयस्क को सीमित वायु में इतना गर्म करते हैं कि उसमें से वाष्पशील पदार्थ निकल जाते परंतु अयस्क को पिघलने नहीं दिया जाता।
कार्बोनेट ऑक्साइड तथा हाइड्रॉक्साइड अश्कों का निस्तारण किया जाता है।
धातुओं का संक्षारण (Corrosion of Metals)
नम वायु के संपर्क में आने पर सतह की धातु क्षरण, संक्षारण कहलाता है। या एक ऑक्सीकारक प्रक्रम है।
जैसे-
- लोहे पर जंग लगना
- चांदी का बदरंग होना
- तांबे तथा कासा पर हरी परत का निर्माण होना
संक्षारण से सुरक्षा (Prevention of Corrosion)
संक्षारण के रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय हैं।
- धातु के ऊपर पेंट की परत चढ़ा कर
- धातु की सतह पर तेल या ग्रीस लगाकर
- धातु की सतह पर संक्षारण मुक्त धातु की परत चढ़ा कर
- एनोडीकरण द्वारा
- यशदलेपन द्वारा
उपधातु (Metalloids)
कुछ तत्वों में धातु तथा अधातु दोनों के गुण विद्यमान रहते हैं इन्हें उपधातु कहते हैं।
जैसे- एंटीमनी, आर्सेनिक आदि।
- ज्ञात उपधातु की संख्या केवल 8 है।
- उपधातु के ऑक्साइड उभयधर्मी प्रकृति के होते हैं।
मिश्रधातु (Alloys)
दो या दो से अधिक धातु को गलित अवस्था में मिश्रित करने पर निर्मित समांगी मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं। मिश्र धातुएं दो या दो से अधिक धातुओं को मिश्रित करके बनाई जाती है।
जैसे- पीतल, कासा आदि।
मिश्रधातु बनाने के उद्देश्य (Purpose of Making Alloys)
मिश्र धातु का निर्माण निम्न कारणों से किया जाता है।
- धातुओ के संक्षारण की मात्रा को कम करने के लिए
- धातुओ की कठोरता तथा मजबूती बढ़ाने के लिए
- धातुओं के गलनांक को घटाने के लिए
- रसायनिक सक्रियता को बढ़ाने के लिए
FAQs________________
प्रश्न 1- आघातवर्ध तथा तन्य का अर्थ बताइए।
उत्तर- आघातवर्ध : जिंदा तू को पीटकर पतली चादर बनाई जा सकती है उन्हें अघातवर्ध कहते हैं।
तन्य : जिन धातु के तार खींचे जा सकते हैं, उन्हें तन्य कहते हैं।
प्रश्न 2- आयनिक यौगिकों का गलनांक उच्च क्यों होता है?
उत्तर- आयनिक यौगिकों का गलनांक उच्च होता है, क्योंकि विपरीत आवेश युक्त आयनों के मध्य उपस्थित प्रबल अंतर आयनिक आकर्षण बल को तोड़ने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 3. सोडियम को केरोसिन में डुबोकर क्यों रखा जाता है?
उत्तर : सोडियम अत्यंत अभिक्रियाशील है। यह सामान्य ताप पर भी नमी तथा ऑक्सीजन के साथ तेजी से अभिक्रिया करती है। किन्तु यह केरोसीन के साथ न तो कोई अभिक्रिया करती है और न ही इसमें घुलती है। अतः सोडियम को वायु और नमी से बचाने के लिए केरोसीन तेल में डुबोकर रखा जाता है।
प्रश्न 4- निम्नलिखित अभिक्रिया सम्भव है अथवा नहीं? कारण सहित समझाइये।
Zn (NO₃)₂ + 2Ag → 2AgNO₃ + Zn
उत्तर : विद्युत-रासायनिक श्रेणी में जिंक (Zn), सिल्वर (Ag) से ऊपर स्थित है। अत: जिंक (Zn), सिल्वर (Ag) से अधिक क्रियाशील धातु है। अधिक क्रियाशील धातु कम क्रियाशील धातु को उसके लवण (salt) के विलयन में से विस्थापित कर देती है। चूँकि सिल्वर जिंक से कम क्रियाशील धातु है, अत: सिल्वर जिंक नाइट्रेट विलयन में से जिंक को विस्थापित नहीं करेगी। अतः उपरोक्त अभिक्रिया सम्भव नहीं है।
प्रश्न 5- लोहे पर निम्नलिखित धातुओं में से किन की परत चढ़ाई जा सकती है और क्यों?
Mg, Cu, Ag
उत्तर : विद्युत-रासायनिक श्रेणी में ऊपर से नीचे इन धातुओं का क्रम Mg, Fe, Cu, Ag है। विद्युत रासायनिक श्रेणी में धातुएँ अपनी सक्रियता के घटते हुए क्रम में स्थित हैं। अतः इनकी सक्रियता का घटता हुआ क्रम भी यही है। अत: Cu या Ag के धनायनों के विलयन में Fe डालने पर Fe पर Cu या Ag की परत सरलतापूर्वक चढ़ाई जा सकती है। Mg के धनायनों के विलयन में Fe डालने पर कोई अभिक्रिया नहीं होगी तथा Fe पर Mg परत नहीं चढ़ाई जा सकती।